पुखराज पहनने के नियम – Pukhraj Pahanne Ke Niyam

पुखराज पहनने के नियम – Pukhraj Pahanne Ke Niyam

 

पुखराज पहनने के नियम – Pukhraj

 Pahanne Ke Niyam

पुखराज पहनने के नियम जानने से हम इसे सही तरीके से धारण करते हैं, जिससे इसका लाभ हमें बहुत अच्छा एवं कई गुना अधिक प्राप्त होता है-

पूरे ब्रम्हांड को संचालित करने वाले गुरु ग्रह का रत्न हैl पुखराज रत्न (pukhraj ratna pahanne ke niyam)  यह एक अद्भुत अनमोल रत्न हैl वैसे तो बहुत से नौ रत्न है, किंतु सभी रत्नों में से सबसे सर्वश्रेष्ठ पुखराज रत्न को माना जाता है, इसे सभी रत्नों का राजा माना जाता है, सभी नवग्रह में इन्हें गुरु की उपाधि भी गई है, इनके कृपा के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है, इनकी कृपा बरसती है, तब आपके जीवन में विभिन्न प्रकार के शुभ एवं मंगलकारी कार्यों की शुरुआत होती है।

 पुखराज रत्न (pukhraj ratna ke fayde) देखने में पीले रंग का होता है, पीला रंग जो हमारे मन को देखने के साथ पुलकित कर देता है, यह रंग धन से भी संबंधित होता है, क्योंकि स्वर्ण का रंग भी पिला होता हैl पुखराज के विभिन्न रंग भी हो सकते हैं, गुलाबी पीला सफेद नीला किंतु गुरु ग्रह के लिए केवल पीला पुखराज ही धारण किया जाता हैl यह देखने में बहुत आकर्षक होता है l इसके सयोजक एलुमिनियम सिंलिकेट फ्लोरीन जैसे खनिज होते हैं, संस्कृत में इसे पुष्पराग से संबोधित किया गया है।

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प्रारंभिक अवस्था में पुखराज रत्न को पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि यह एक खनिज का टुकड़ा होता है, जो रूपांतरित होकर पुखराज पत्थर (pukhraj ratna dharan karne ke niyam) में परिवर्तित होता है lविभिन्न प्रकार के प्रक्रियाओं के से गुजरने के पश्चात हमें सुंदर एवं आकर्षित पुखराज रत्न प्राप्त होता है, पुखराज रत्न का घनत्व बहुत अधिक होता है, और इसकी कठोरता भी अधिक होती है lबहुत से लोगों के द्वारा इसके आभूषण जैसे अंगूठी, हार, ब्रेसलेट पेंडेंट आदि धारण किया जाता हैl पुखराज रत्न देखने में पारदर्शी होता है, फिर भी आप को विभिन्न प्रकार के जाले बिंदु आदि इसके अंदर देखने को मिल सकते हैं lइसका रंग ही इसका सबसे स्पष्ट एवं आकर्षक विशेषता निर्धारित करता है, इसमें अनेक भौतिक गुण मौजूद रहते हैं।

पुखराज रत्न उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले बहुत महंगे होते हैंl इनकी कीमत को कम आंकना बेवकूफी होगीl इतना उपयोगी रत्न की कीमत चुकाने में यदि किसी को दिक्कत होती है, तो ऐसे में लोगों में इसके उपरत्न भी काफी लोकप्रिय हैं, जो पुखराज रत्न (pukhraj ratna dharan karne ke niyam bataiye) के जगह पर उपयोग किया जाता है, क्योंकि बाजारों में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के रत्न कोई जरूरी नहीं की प्राकृतिक रूप से ही उपलब्ध होl यह कृत्रिम रूप से ही निर्मित हो सकते हैं, या नकली भी हो सकते हैं, ऐसे में लोगों को अपने पैसे डूबने का भय बना रहता है, ऐसे में कुछ विशिष्ट कार्यों की पूर्ति के लिए उपरत्न धारण किया जाता है, जिससे उनके कार्यों की पूर्ति हो सके एवं उसे प्रचुर मात्रा में लाभ भी प्राप्त हो और पैसे डूबने का भी खतरा ना रहे, पुखराज के उपरत्न निम्न प्रकार से है केसरी ,केरु ,सोनल, सुनैला ,धियाl
कुछ विशिष्ट प्रकार के मापदंडों से आप जान सकते हैं कि आपके द्वारा खरीदा जा रहा रत्न पुखराज है या नहीं है-

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1. पुखराज रत्न (pukhraj pahanne ke fayde) का घनत्व अधिक होता है, यदि यह प्राकृतिक रूप से निर्मित हुआ तो भले ही देखने में यह छोटा लगेगा किंतु जब आप इसका वजन करेंगे तो आप पाएंगे कि कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न से इसका वजन अधिक हैl भले ही यह देखने में कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न से छोटा हो, जब आप इसे उठाएंगे तो आपको इसमें वजन महसूस होगा हल्का पन नहीं लगेगा।

2. आपके द्वारा खरीदा गया पुखराज रत्न (pukhraj ratna ke labh) प्राकृतिक रूप से निर्मित है, अथवा कृत्रिम रूप से निर्मित हैl यह जांचने के लिए आप उसे गाय के शुद्ध दूध में रखकर छोड़ देl करीब दो-तीन घंटे के बाद आप यह देखेंगे कि उसका रंग जैसा था वैसा ही है, तथा उसमें से पीली रोशनी उत्सर्जित हो रही है, तो इस बात का प्रमाण है, कि यह एक असली पुखराज रत्न है, और यदि यह कृत्रिम रूप से निर्मित हुआ तो दो-तीन घंटे के बाद इसका असली रंग होने लगेगा तथा किसी भी प्रकार की रोशनी उत्सर्जित होती हुई नहीं प्रतीत होगी।

3. असली पुखराज रत्न (pukhraj ratna pahanne se kya labh hota hai) देखने में प्राकृतिक रूप से बहुत आकर्षित एवं लोचदार चिकना साफ होता है, यदि आप इसको अपने हथेलियों से इसके ऊपर हाथ घूम आएंगे या उंगली घूम आएंगे तो ऐसा लगेगा जैसे आपकी उंगली फिसल रही हो, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि मौजूद नहीं रहती है, यदि कोई रत्न त्रुटि के साथ है, तो वह रत्न कभी भी लेना नहीं चाहिए।

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4. जब आप सूर्य की किरणें या चंद्र की किरणों में पुखराज रत्न (pukhraj ratna ki jankari) को रखेंगे तो पाएंगे कि इससे पीली रोशनी प्रदीप्त हो रही हैl ऐसा लगेगा जैसे सूर्य की रोशनी के समान इससे किरणें निकल रही हो और यदि आपको इंद्रधनुष के रंगों के समान रोशनी प्रतीत हुई दिखाई पड़ रही है, तो वह एक कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न है, वह केवल एक कांच का टुकड़ा है, जिसमें विभिन्न प्रकार के संयोजक के वजह से उसका रंग पीला दिख रहा है, किंतु उसमें किसी भी प्रकार से पुखराज रत्न के गुण विद्यमान नहीं होंगे।

ऐसे महत्वपूर्ण रत्न को धारण करने के लिए उपयुक्त समय निर्धारित किया गया है, जिससे आप इसका और अधिक लाभ उठा सकें- पुखराज रत्न को धारण करने का सबसे उपयुक्त दिन गुरुवार को शुक्ल पक्ष के दिन माना जाता है।

सबसे पहले पुखराज रत्न (pukhraj ratna kaise dharan karen) को लेकर गंगाजल से शुद्धीकरण करें तथा पंचामृत से स्नान आदि करवा कर, उसे गुरु ग्रह के बीज मंत्रों से अभिमंत्रित करें या किसी विद्वान पंडित के माध्यम से अभिमंत्रित करवाएं तत्पश्चात आप किसी मंदिर में भगवान के चरणों में इसे कुछ देर के लिए छोड़ दें फिर भगवान जी का आशीर्वाद लेने के बाद पंडित जी का भी आशीर्वाद ले lउसके पश्चात अपनी जो भी मनोकामना है, उसको बोलते हुए पुखराज रत्न धारण करना चाहिए, पुखराज रत्न को आपको तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए, चाहे वह दाएं हाथ की तर्जनी उंगली हो या बाएं हाथ की तर्जनी उंगली हो।

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आपको इस बात का भी ध्यान रखना है, कि इस दिन भूलकर भी किसी से भी कटु वचन नहीं कहना है, तथा अपने घर के बड़े बुजुर्गों के लिए कुछ उपहार यदि संभव हो तो ले जाइए उन्हें कुछ मीठा खिलाए या उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें क्योंकि हमारे जीवन में जितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों ना आए, यदि हमारे साथ बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद रहता है, तो सारी समस्याओं का समाधान चुटकी में हो जाता है।

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