लाजवर्त के नुकसान – Lajvart Ke Nuksan
लाजवर्त के नुकसान– (lajward stone ke nuksan in hindi) यह रत्न देखने में ब्लू रंग का एवं काले रंग का होता है, तथा इसके ऊपर भूरे मिले या हरे या काले रंग के धब्बे देखने को मिलते हैं, किसी किसी लाजवर्त रत्न में सुनहरा या चांदी के रंग के समान आकृति रत्न के अंदर प्राकृतिक रूप से विद्यमान देखने को मिलती है, तथा कोई भी रत्न देखने में एक समान नहीं होता हैl प्रत्येक रत्न में विविधता देखने को मिलती हैl यह रत्ना शनि ग्रह से संबंधित होता है, तथा नीलम के स्थान पर इस स्टोन को उपरत्न के रूप में धारण किया जाता हैl बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जो आर्थिक तंगी होने की वजह से नीलम रत्न की कीमत को नहीं चुका पाते हैं, या फिर नीलम रत्न की पहचान के विभिन्न मापदंड या पैमाने उन्हें नहीं पता होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें ठगी का शिकार होने का डर लगा रहता है, जिसकी वजह से लोग लाजवर्त को धारण करना पसंद करते हैं, तथा शनि ग्रह से संबंधित कार्यों की पूर्ति के लिए इसे धारण करते हैं।
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शनि ग्रह के द्वारा दिए जा रहे दुष्प्रभाव या दुष्परिणामों या प्रतिकूल प्रभाव को अनुकूल एवं सकारात्मक प्रभाव में परिवर्तन करने के लिए इस रत्न को धारण किया जाता है, लोगों के द्वारा इसके अंगूठी या ब्रेसलेट या पेंडेंट बनाकर धारण किया जाता हैl लाजवर्त रत्न (lajward stone ke nuksan kay hai) को धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त धातु अष्ट धातु या फिर पंचधातु को माना गया है, इसे भूल कर भी चांदी में धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि चंद्रमा और शनि एक दूसरे के विरोधी होते हैं, तथा इनकी युक्ति विष योग का निर्माण करती है, जिसमें जातक की परेशानियां दिनों दिन बढ़ती चली जाती है, ऐसी ऐसी चीजों में जातक फस जाता है, एवं उसके जीवन में ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियां घटने लगती है, जिनसे उबर पाना बहुत मुश्किल होता है इसके साथ-साथ उसकी मनोदशा पूरी तरह से बिगड़ जाती है।
शनि ग्रह का उपरत्न लाजवर्त के नुकसान-
1. यदि लाजवर्त रत्न (lajward stone ke nuksan kaise jaane) किसी को नहीं धारता है, तो उसकी आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती चली जाती हैl रूपए पैसे संबंधित चीजों में उसे भारी घाटा होने लगता है lआय के जो स्रोत होते हैं, वह घटते चले जाते हैं, जिसकी वजह से धन संबंधित चिंताएं बढ़ती चली जाती है एवं विकराल रूप ले लेती है, जिससे जातक का उबर पाना नामुमकिन सा लगने लगता है, धन का क्षरण होने लगता है, जिससे जातक की बुद्धि भी काम नहीं करती हैl नौकरी पेशा व्यापार हो या धन उपार्जन या आजीविका के साधन सभी में जातक को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता हैl बहुत मेहनत मजदूरी करने के बाद भी लाभ प्राप्ति के योग के आसार नहीं नजर आते हैं जिससे जातक और अधिक मानसिक एवं शारीरिक स्तर दोनों से पूरी तरह से टूट जाता हैl काम-धंधा बंद होने से घर परिवार में भी कलह का माहौल रहता है, जिससे जातक मानसिक तौर पर काफी अशांत एवं भयभीत रहता है।
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2. खराब प्रभाव के कारण जातक को बहुत ही शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता हैl हड्डी संबंधित रोग हो या फिर चरम संबंधित रोग सभी में वृद्धि होने लगती है, एवं जातक मानसिक तौर पर बहुत अधिक विचलित रहता है, तथा पागलपन चीखना चिल्लाना जैसी स्थिति आम हो जाती हैl वह समय के साथ मानसिक अवसाद में चला जाता है, तथा खुद को बिल्कुल घर परिवार के लोगों से तथा समाज से बहिष्कृत समझने लगता है lभावनात्मक स्तर पर उसकी समझ शून्य हो जाती है, जिससे खुद को पूरी तरह से कटा हुआ समझने लगता है, और उसकी स्थिति बहुत ही खराब होने लगती है, विभिन्न प्रकार की भ्रामक चीजों का भी उसे आभास होने लगता है।
3. लाजवर्त रत्न (lajward stone ki jankari) के खराब प्रभाव के कारण जातक आलस्य एवं कार्यों को टाली जैसी समस्याओं से ग्रसित हो जाता है, जिससे कार्यों का बोझ उसके ऊपर बढ़ जाता है, एवं किसी भी कार्य का निर्वहन वह ठीक ढंग से नहीं कर पाता है, तथा कार्यों को पूर्ण करने में बहुत अधिक विलंब करता है तथा उसके द्वारा पूर्ण किए कार्य दी पूरे नहीं होते हैंl आधे अधूरे कार्य उसके द्वारा किए जाते हैं, जिससे कार्यस्थल हो या फिर घर परिवार हर जगह उसे अपमान झेलना पड़ता है, तथा परिस्थितियां हर जगह उसके लिए विषम साबित होती है।
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4. इसके दुष्प्रभाव से जातक के दुश्मनों में भी वृद्धि होती है, जातक शत्रु बाधा से ग्रसित हो जाता है, प्रत्यक्ष शत्रु हो या अप्रत्यक्ष सभी उसे बस नीचा दिखाने में लग जाते हैं, उसकी स्थितियों को और अधिक दयनीय बनाने में उसके दुश्मनों का हाथ बहुत अधिक रहता है, तथा उसे किसी भी परिस्थिति में उठने का मौका उसके दुश्मन नहीं देते हैंl उसके दुश्मनों के द्वारा उसके ऊपर विभिन्न प्रकार के कर्मकांड जैसे तंत्र मंत्र, नजर दोष ,टोना टोटका जैसी चीजें भी करवाई जाती है, जिसकी वजह से जातक की परेशानियों में और अधिक वृद्धि हो जाती है, तथा जातक और अधिक विकट स्थिति झेलने लगता है।
5. लाजवर्त रत्न (lajward stone kaisa hota hai) का जब दुष्प्रभाव किसी जातक के ऊपर पड़ता है, जातक को मानहानि जैसी परिस्थितियां देखने को मिलती हैl सामाजिक स्तर पर जातक को बहिष्कृत किया जाने लगता है, तथा उसके कार्यों की भी बहुत बुराई होती है, तथा चुन चुन कर उसकी कमियों पर लोगों के द्वारा निशाना साधा जाता है। जिससे जातक की छवि धूमिल होती है, एवं किसी भी प्रकार का सहयोग समाज से प्राप्त नहीं होता है, या घर परिवार के लोगों से भी उसे सहयोग की प्राप्ति नहीं होती हैl वह पूरी तरह से अकेला हो जाता है, भले ही उसकी कोई भी गलती ना रहे फिर भी जातक को ही लोग दोषी ठहराने लगते हैं, एवं उसे गलत प्रमाणित भी कर सकते है।
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6. लाजवर्त रत्न (lajward stone pahanne se kya hota hai) जातक के बुद्धि विवेक से पूरी तरह से भ्रष्ट कर देता है, सोचने समझने की शक्ति को पूरी तरह से नष्ट कर देता है, जिससे जातक के द्वारा तरह से गलत निर्णय ले लेता है, जिसकी भरपाई उसे भविष्य में बहुत बड़े स्तर पर करना पड़ता है, किंतु केवल आघात सहने के अलावा और कोई चारा उसके पास नजर नहीं आता है, इसके साथ-साथ रत्न के दुष्प्रभाव से एकाग्रता शक्ति में कमी आती है, तथा वह चीजों को भूलने लगता है, उसके स्मरण शक्ति पूरी तरह से छीन होने लगती है, जिसका प्रभाव उसके जीवन पर बहुत गहरा पड़ता है, इसके साथ-साथ जिस भी कार्य क्षेत्र में संलग्न है उसमें उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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