माणिक रत्न कितने दिन में असर दिखाता है –
Manik Ratna Kitne Din Me Asar
Dikhata Hai
रत्न शास्त्र में अलग-अलग रत्नों के अलग-अलग गुण एवं वर्णन बताए गए हैं, कोई रत्न तीव्र गति के साथ अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैl कोई थोड़ा धीमी गति से ,थोड़ा विलंब से अपना असर दिखाता है। सकारात्मक परिणाम हमारे जीवन पर देता हैl सभी की कार्य करने की अवधि भिन्न-भिन्न होती है। कौन सा रत्न धारण करने के कितने दिनों के अंदर अपना असर दिखाना शुरू करेगा यह पूरी तरह से उसके स्वामी रत्न पर भी निरूपित करता है। माणिक रत्न (manik ratna kitne din me asar dikhata hai in hindi) किस ग्रह का प्रतिनिधित्व वह कर रहा है, उस पर भी निर्भर करता है, जैसे- पुखराज रत्न- पुखराज रत्न माना जाता है, कि इसे धारण करने के 10 दिन के अंदर यह अपना असर दिखाना शुरू कर देता है, तथा जिस भी महत्वकांक्षी को मन में लेकर जा तक उसे धारण करता है, उसे पूर्ति करने के लिए यह अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है।
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मोती रत्न- मोती रत्न ऐसा माना जाता है, कि अपना प्रभाव 7 दिनों के अंदर दिखाना शुरु करता है। उसी प्रकार नीलम रत्न – नीलम रत्न ऐसा माना जाता है, कि धारण करने के 24 घंटे के अंदर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है, ठीक उसी प्रकार माणिक रत्न (manik ratna kitne din me asar karta hai) अपना प्रभाव जिस जातक के द्वारा इसे धारण किया गया है। उस पर 1 महीने के अंदर दिखाना शुरू कर देता है, तथा माणिक रत्न में व्याप्त ऊर्जा का लगातार हमारा शरीर अवशोषित करता रहता है, जिससे इसके गुण हमारे व्यक्तित्व में शामिल होकर हमारे व्यक्तित्व का अद्भुत निर्माण कर पाएl बहुत से लोगों के द्वारा माणिक रत्न के अंगूठी के अलावा पेंडेंट, ब्रेसलेट आदि भी धारण किया जाता है, जो उन्हें उनके जीवन पर अपना प्रभाव 1 महीने के अंदर दिखाता है। माणिक रत्न उन्हें विभिन्न प्रकार से अनुकूल परिणाम उनके जीवन पर देता है, इसके साथ-साथ सूर्य ग्रह की भी कृपा जातक को आजीवन प्राप्त होती रहती है।
माणिक रत्न सूर्य ग्रह से संबंधित एक रत्न होता है, जो देखने में गुलाबी रंग का होता है, तथा सूर्य से संबंधित विभिन्न प्रकार की भौतिक ऊर्जा ओं का समावेशन माणिक रत्न में मौजूद रहता है, जब माणिक रत्न (manik ratna ke fayde) किसी भी व्यक्ति के द्वारा धारण किया जाता है, तो माणिक रत्न में विद्वान शक्तियों को , माणिक रत्न में मौजूद ऊर्जा को हमारा शरीर अवशोषित करने लगता हैl यह हमारे शरीर की क्षमता होती है, कि वह नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों प्रकार की चीजों को अवशोषित कर सकता है, तभी तो यदि हम मंदिर जाते हैं, तो हम वहां की सकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर अवशोषित कर लेते हैं, जिससे हमें असीम शांति एवं हर्ष उल्लास का भाव हमारे मन में विद्यमान होता है, जबकि यही यदि किसी नकारात्मक शक्तियों के वास वाली जगह जैसे- शमशान या किसी तांत्रिक के पास जाते हैं, तब हमारे अंदर का सूक्ष्म शरीर वहां की हवा में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है, जिससे हमारा शरीर, मन- मस्तिष्क पूरा भारी लगने लगता है।
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ऐसा प्रतीत होता है, जैसे हम केवल हम नहीं हैं, बल्कि हमारे साथ कोई और भी है, जो हमारे इर्द-गिर्द ही है, जिसकी संगत से हमारा ऊर्जा का क्षरण हो रहा है, ऐसा लगता है, जैसे कोई हमारी आभामंडल को भेदकर हमारी प्राण शक्ति को खा रहा है, जिससे हमारा मन मस्तिष्क हमारे नियंत्रण से बाहर हो गया है। हमारा शरीर हमारे नियंत्रण से बाहर हो गया है। यह प्रभाव केवल नकारात्मक ऊर्जा को जब हमारे शरीर के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, तब ऐसी भावना उत्पन्न होती है। हर व्यक्ति के शरीर की क्षमता होती हैl प्राकृतिक रूप से उसके आभामंडल मजबूत या कमजोर होता हैl रत्नों को भी जब हम धारण करते हैं, तो यह हमारे अंदर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा देते हैं, जिससे हमारे मन में व्याप्त नकारात्मकता शरीर में व्याप्त नकारात्मकता का धीरे-धीरे पतन होने लगता है, तथा यह ग्रह रत्न हमें हमारे मंजिल तक ले जाते हैंl हमारे महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने का प्रबंध योग बनाते हैं।
माणिक रत्न (manik ratna pahnane ke fayde) का वर्ण देखने में गुलाबी होता है, तथा सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले माणिक रत्न म्यानमार देश से प्राप्त होते हैंl इस लोकप्रिय रत्न का खदान विश्व के विभिन्न देशों में पाया जाता है, तथा भिन्न-भिन्न देशों में इसके भिन्न-भिन्न नाम होते हैं lउसका कारण यह है, कि इसकी उपयोगिता को देखते हुए वहां की स्थानीय भाषा में कोई भी रत्न का नामकरण कर दिया जाता हैl इतने विविधता भरे विश्व में माणिक रत्न के गुण भी विविधता बड़े होते हैं, जिसका वर्णन केवल कुछ अक्षरों या कुछ शब्दों में नहीं किया जा सकता है, यह सृष्टि के रचनाकार सृष्टि के आत्मा सूर्य देव को समर्पित रत्न होता है।
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प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रत्नों में बहुत से गुण मौजूद रहते हैं। ऐसा विद्वानों का मत है, कि जब भी आपके ऊपर किसी प्रकार का संकट आने लगता है, तब आपके द्वारा धारण किया गया माणिक रत्न (manik ratna dharan karne ke fayde) अपने आप रंग बदल लेता हैl इसका रंग फीका पड़ जाता है या इसमें किसी प्रकार की त्रुटि हो जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि माणिक रत्न खुद ही दड़क जाता हैl उसमें खुद ही दरार आ जाती है। ऐसा होने के पीछे कारण ऐसा माना जाता है, कि किसी बहुत बड़े संकट को भी माणिक रत्न अपने ऊपर ले कर आपको बचा लेता है, इसी वजह से यह टूट जाता है, या इसमें किसी भी प्रकार से दरार आ जाती है।
हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करने में बहुत मदद करते हैं। यही कारण है, कि प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा रत्नों का उपयोग व्यापक स्तर पर किया जाता रहा है, चाहे वह राजा हो या फिर एक आम जन हर कोई इन रत्नों को धारण कर अपना भविष्य बनाना चाहता था एवं आज भी यही परिस्थिति है, आज के प्रति स्पर्धा के दौर में हर कोई एक दूसरे से आगे निकलना चाहता है। हर कोई चाहता है, कि वह जल्द से जल्द अपने मंजिल को प्राप्त कर ले जल्द से जल्द उसके पास भौतिक सुख संसाधन प्राप्त हो जाए। उसे जीवन में कभी भी धन संबंधित परेशानियां नहीं आएl इन सभी चीजों को प्राप्त करने के लिए इन रत्नों में बहुत से ऐसे भौतिक ऊर्जा का वास होता है, जो हमारे महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने में सबल होते हैं।
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