टाइगर स्टोन सिद्ध करने का मंत्र – Tigar
Stone Sidhh Karne Ka Mantra
टाइगर स्टोन सिद्ध करने का मंत्र- (Tigar stone pahanne ka mantra in hindi) टाइगर स्टोन है, जो देखने में बिल्कुल बाघ के नेत्रों के समान आभा वाला होता है, तथा इसके ऊपर जो धारियां होती है, वह बिल्कुल बाघ के शरीर पर मौजूद धारियों के समान प्रतीत होती हैl यह धार या प्राकृतिक रूप से उस पर लाल या पीले रंग की या भूरे रंग की विद्यमान होती है, यह एक उपरत्न है, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है, अभी तक जितने भी रत्न बताए गए हैंl उन सभी में त्वरित गति से अपना प्रभाव दिखाने वाला रत्न इसे माना जाता है, इस रत्न की खासियत होती है, कि आप विभिन्न प्रकार के नौ ग्रहों के लिए इसे धारण कर सकते हैं, एवं उनका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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इसमें जातक की लग्न कुंडली देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, बल्कि यह किसी भी आयु वर्ग के द्वारा धारण किया जा सकता है, तथा इसकी खासियत होती है, कि इसका दुष्प्रभाव जातक के ऊपर नहीं पड़ता है, किंतु संपूर्ण लाभ को प्राप्त करने के लिए इसे विधि पूर्वक धारण करना बहुत आवश्यक हैl इसे विभिन्न प्रकार के मंत्र से सिद्ध करना एवं अभिमंत्रित करना एवं प्रतिष्ठित करना, इसे धारण करने से पूर्व सबसे अहम चरण माना जाता हैl उसमें यदि चूक होती है, तब जातक को इस के संपूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होते हैं, तथा उसे कुछ परेशानियां आ सकती है, या कुछ अप्रिय घटनाएं भी घट सकती है,अतः इसे धारण करने से पूर्व विधि को जान लें तथा विधिवत पूर्वक इसे धारण करें-
टाइगर रत्न (tigar stone kaise sidhh karen) का उपयोग विभिन्न प्रकार के ग्रहों की कृपा प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है, या कई बार ऐसी स्थितियां भी उत्पन्न होती है, जब जातक के कोई विशिष्ट ग्रह सुप्त अवस्था या निष्क्रिय अवस्था में होता है, या फिर उस विशिष्ट ग्रह के द्वारा बहुत से दुष्परिणाम दिए जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में उस विशिष्ट ग्रह की शक्तियों को जागृत करने के लिए एवं उससे संबंधित कार्यों को पूर्ण करने के लिए टाइगर रत्न विधि पूर्वक धारण किया जाता है।
टाइगर स्टोन को सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाए जा सकते हैं-
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1. सूर्य ग्रह- सूर्य से संबंधित ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए एवं इससे संबंधित कार्य जैसे कार्य क्षेत्र में सफलता अनुशासन उच्च पद पर प्रतिष्ठित होना निरीक्षण प्रशासनिक विभाग में मान-सम्मान की प्राप्ति आदि कार्यों की पूर्ति के लिए इसे धारण किया जाता हैl वास्तविक जीवन में सूर्य को पिता से संबोधित किया जाता है।
रविवार के दिन स्नान आदि से निवृत होकर शुक्ल पक्ष में इसे गंगाजल एवं पंचतत्व से पवित्र करने के बाद सूर्य के बीज मंत्र से इसे सिद्ध किया जाता है lमंत्रों की संख्या जितनी अधिक होती है, टाइगर रत्न (tiger stone ke labh) उतना अधिक प्रभावशाली बनता है, तथा इसे चांदी में अनामिका उंगली में धारण किया जाता है।
मंत्र -ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
2. चंद्रमा- चंद्रमा जो हमारे मन का कारक होता है, हमारे विचारों का प्रतिनिधित्व करने का कारक है, इसके साथ साथ हमारी मानसिक स्थिति को मजबूत करने का कारक भी चंद्र को ही माना जाता है lचंद्र यानी हमारी माता वास्तविक जीवन में माता को चंद्र की उपाधि दी गई है, जिनके द्वारा हमारे भाग्य का निर्माण होता है।
सोमवार के दिन शुक्ल पक्ष में इस रत्न को गंगा जल एवं पंचामृत से पवित्र कर धूप दीप दिख लाने के पश्चात चंद्र से संबंधित मंत्र का जितना हो सके उतना जाप करना चाहिएl इसे चांदी में अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
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मंत्र- नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।। ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
3. मंगल- मंगल जो किसी भी जातक के पराक्रम का कारक होता हैl यह किसी भी जातक का साहस शौर्य का प्रदर्शन का कारक होता हैl प्रशासनिक विभाग हो या सेना अध्यक्ष इन सभी में जातक को सफलता दिलाता है, इसकी स्थिति किसी भी जातक के वैवाहिक जीवन को प्रदर्शित करती हैl
टाइगर स्टोन (Tigar Stone Sidhh Karne Ka Mantra) को शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन इस रत्न को चांदी में तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है, उससे पूर्व इसे विधिवत तरीके से अभिमंत्रित एवं सिद्ध किया जाता है, उसके लिए निम्नलिखित मंत्रों में से किसी एक का जप जितना हो सके उतना अधिक किया जा सकता है।
मंत्र-ll ॐ अं अंगारकाय नम:ll
मंत्र- ll’ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमःll
4. बुध- बुध ग्रह जिसे बुद्धि का कारक माना जाता हैl तर्क, संवाद, गणित, संचार, चतुराई आदि का कारक भी बुध ग्रह से माना जाता है, इसे नौ ग्रहों का राजकुमार से संबोधित किया जाता हैl
टाइगर आई (tigar stone sidhh karen ka mantra in hindi) को बुधवार के दिन चांदी में कनिष्ठा उंगली में धारण किया जाता हैl सबसे पहले विधिवत तरीके से अंगूठी का पवित्रीकरण किया जाता है, उसके बाद निम्नलिखित मंत्रों से अभिमंत्रित या इसे सिद्ध किया जाता है।
मंत्र -ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः!
5. गुरु- गुरु जो हमारे ज्ञान का कारक है, एवं सबसे सम्माननीय आदरणीय ग्रह गुरु ग्रह को ही माना जाता है lयह एक ऐसा ग्रह है, जो दुश्मन को भी दोस्त बनाने की क्षमता रखते हैं तथा पापी ग्रहों के द्वारा दी जा रहे दुष्परिणामों को भी यह दूर करते हैंl टाइगर आई रत्न (tiger stone benefits in hindi) को गुरुवार के दिन शुक्ल पक्ष में तर्जनी उंगली में निम्नलिखित मंत्र के द्वारा अंगूठी को सिद्ध करके धारण करना चाहिए।
मंत्र -Ilॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।l
6. शुक्र- शुक्र का संबंध भौतिक वस्तुओं से होता है, जितनी भी सांसारिक चीजें हैं उन सभी का स्वामित्व शुक्र ग्रह के पास ही होता है, तथा विलासिता से संबंधित चीजों का भी संबंध शुक्र ग्रह से होता है।
कैट्स आई को शुक्ल पक्ष में शुक्रवार के दिन विभिन्न प्रकार के विधि विधान से पवित्र करने के पश्चात कैट आई के लॉकेट को विधिपूर्वक पवित्र करने के बाद निम्नलिखित बीज मंत्र का उपयोग कर गले के लॉकेट को सिद्ध करना चाहिए, इसे धारण करने का सबसे उपयुक्त दिन शुक्रवार को माना जाता है।
मंत्र – llॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।l
7.शनि ग्रह- यह एक कर्म प्रधान देवता है, तथा किसी के भाग्य को यह बना भी सकते हैं, एवं बिगाड़ सकते हैंl इनका न्याय जन्म जन्मांतर तक चलता है, इसलिए सूक्ष्म से सूक्ष्म गलती की सजा जातक को अनंत जन्मों तक भोगना पड़ता है, तथा कड़ी मेहनत से जो चीज हमें भाग्य से प्राप्त नहीं होती है, वह शनिदेव की कृपा से हमें प्राप्त हो सकती हैं, यह हमारे भाग्य को निर्धारित करते हैं।
शुक्ल पक्ष में के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर टाइगर रत्न (tiger stone ke fayde) को धारण करने का सबसे उपयुक्त समय अर्धरात्रि या सूर्य उदय से पूर्व माना गया हैl विभिन्न प्रकार के विधि विधान से इस अंगूठी को पवित्र किया जाता है, उसके बाद निम्नलिखित मंत्र को जितना हो सके उतना अधिक जब करके उसे अभिमंत्रित किया जाता है, एवं उसे मध्यमा उंगली में धारण किया जा सकता है।
मंत्र -llॐ शं शनैश्चराय नम:ll
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8. राहु- आपके विस्तृत ज्ञान का कारक राहु है, जिसके सामने बुध भी चुप्पी साधे रहता है, वह है- राहु, जो अपनी वाकपटुता से अच्छे-अच्छे को पटकनी दे दे वह है -राहु, जीवन में आकस्मिक धन लाभ या आकस्मिक पद प्रतिष्ठा संबंधित सम्मान प्राप्ति का योग का कारक भी राहु है।
शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन रत्न की अंगूठी को विधिवत पूर्वक धारण किया जाता हैl इसे धारण करने का सबसे उपयुक्त समय संध्या को माना जाता हैl रात्रि से पूर्व का समय एवं दिन खत्म होने के बाद का समय राहु का होता है, इसलिए इसे धारण करने का सबसे अच्छा समय यही माना जाता हैl अंगूठी को विधिवत पूर्वक पवित्र करने के पश्चात उसे राहु मंत्र से अभिमंत्रित किया जाता है, तथा इसे धारण करने के लिए दाएं हाथ की मध्यमा उंगली का उपयोग किया जाता है, एवं इसका धातु चांदी होता है।
मंत्र -llॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।l
9. केतु- जीवन में आकस्मिक दुर्घटना घटने का कारक केतु को माना जाता है, तथा यदि किसी जातक कोई शुभ प्रभाव देता है, तो उसके द्वारा प्राप्त की जाने वाली सफलता दीर्घकालीन होती है।
केतु के ऊर्जाओ को प्राप्त करने के लिए टाइगर रत्न (tiger stone pahnane ke fayde) शुक्ल पक्ष में बुधवार के दिन सूर्य उदय से पूर्व धारण किया जाता है, क्योंकि केतु से संबंधित बेला सूर्य उदय से पूर्व एवं मध्यरात्रि के बाद का होता है, इसलिए विधिवत पूर्वक इसे पवित्र करने के पश्चात इसके मंत्रों का जप जितना हो सके उतना अधिक करना चाहिए एवं अंगूठी को अभिमंत्रित किया जाना चाहिए, केतु से संबंधित शक्तियों को प्राप्त करने के लिए इस अंगूठी को बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण किया जाना चाहिए।
मंत्र – llॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।l
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