आठ मुखी रुद्राक्ष की पहचान – Aath Mukhi Rudraksha ki Pahchan

आठ मुखी रुद्राक्ष की पहचान – Aath Mukhi Rudraksha ki Pahchan

 

8 मुखी रुद्राक्ष की पहचान – Aath Mukhi

 Rudraksha ki Pahchan

1. 8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha ki pahchan in hindi) के ऊपर प्राकृतिक रूप से आठ धारियां पाई जाती है, जो मुखों के रूप में अलंकृत की जाती है, प्राकृतिक रूप से जो धारियां एक रुद्राक्ष के ऊपर रहती है, वह एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक बिना किसी त्रुटि के लगातार रेखा रहती है, उसमें किसी भी प्रकार का तोड़ मोर या टेढ़ापन जैसी चीजें देखने को नहीं मिलती है ।

यदि रेखा स्पष्ट रूप से एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक नहीं मिल रही है, तो इसका तात्पर्य है, कि वह एक नकली रुद्राक्ष है, इसके साथ ही प्रत्येक 8 मुखों के बीच समान दूरी रहती है, तब भी उसे प्राकृतिक रुद्राक्ष माना जाता है, जबकि यदि मुखों के बीच की दूरी समान नहीं है, तो वह एक कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष है।

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2. ऐसा माना जाता है, कि प्राकृतिक रूप से निर्मित रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha ki pahchan kaise karen) को जब खोलते हुए पानी में कुछ देर के लिए डालकर छोड़ दिया जाता है, तब भी इसके गुण धर्म में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है, इसके जंग में कोई त्रुटि देखने को नहीं मिलती है, इसका रंग बहुत ही सुंदर रहता है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं देखने को मिलता है।

यदि रुद्राक्ष को खोलते हुए पानी में डालने के पश्चात किसी भी प्रकार की त्रुटि उत्पन्न होती हुई प्रतीत हो रही है, तो उसका अर्थ है, कि वह एक नकली रुद्राक्ष है, इसलिए जब उसे विभिन्न वातावरणीय रचनाओं में रखा जाता है।

तब उसके अंदर यह क्षमता नहीं होती है, कि वह अपने आसपास की चीजों के समक्ष अपने गुणधर्म को वास्तविक अवस्था में रख पाए जबकि प्राकृतिक रूप से निर्मित रुद्राक्ष विभिन्न प्रकार की जटिल एवं विषम परिस्थितियों से गुजर कर निर्मित होता है जिसके कारण उसमें किसी भी तरह के बदलाव देखने को नहीं मिलते हैं।

जब वह विभिन्न परिस्थितियों से गुजारा जाता है, तब जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष किसी खास प्रकार की लकड़ी से निर्मित होते हैं, जिनमें यह गुण धर्म नहीं होता है, कि वह किसी भी तरह के बदलाव को झेल पाए ऐसी स्थिति में जब उन्हें खोलते हुए पानी में कुछ देर के लिए उबाला जाता है।

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तो ऐसे में अपने वास्तविक स्वरूप में आ जाते हैं, एवं उनके ऊपर किसी भी तरह का छलावा जो रहता है, वह उतर जाता है, जबकि प्राकृतिक रूप से निर्मित रुद्राक्ष अपने असली स्वरूप में ही रहता है।

3. 8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha ki pahchan kaise hoti hai) के ऊपर जो धारिया बनी रहती है, कई बार ऐसा देखा गया है, कि उत्तम कारीगरों के द्वारा विभिन्न प्रकार के यंत्रों के माध्यम से प्राकृतिक रूप के समान ही उस पर धारियां देने का प्रयास किया जाता है, ऐसे में जब भी रुद्राक्ष ले पहले तब ही धारियों को ध्यान पूर्वक देखें यंत्रों द्वारा बनाया गया धारी एवं प्राकृतिक रूप से बना हुआ धारी में काफी अंतर होता है।

जिससे आप आसानी से फर्क कर सकते हैं, क्योंकि जो यंत्रों के द्वारा बनाए गए धरिया होती है, उनमें मशीनों का कुछ ना कुछ कटिंग का प्रमाण रहिए जाता है इससे आप नकली एवं असली आठ मुखी रुद्राक्ष में फर्क कर सकते हैं।

(8 मुखी रुद्राक्ष का महत्व)

8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha ka mahatva) अष्ट दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता हैl यह अष्ट प्रहर का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें घटने वाली विभिन्न प्रकार की अद्वितीय घटनाओं का प्रत्यक्षीकरण इसके द्वारा किया जाता है, तथा जिस व्यक्ति के द्वारा इसे धारण किया जाता है, उसे हर तरफ सुरक्षा की प्राप्ति होती है, एवं सभी सुखों को प्राप्त करने में भी यह एक उत्तम मार्ग माना जाता है, उपयोगकर्ता के यहां एकाग्र शक्ति को संरक्षित करने में तथा अध्यात्मिक चरणों में सफलता प्राप्त करने के लिए उत्तम शक्ति उत्तम ज्ञान प्रदान करता है।

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8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha ka mahatva kya hai) धारण करने से गौरी नंदन विघ्नहर्ता को प्राप्त होती है गणेश भगवान की शक्तियों से युक्त यह मन का बहुत ही दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण माना जाता है, विघ्नहर्ता गणेश जिनके कारण जीवन में नवीनतम कार्य की शुरुआत होती है, तथा सभी कार्यों को उसके विशिष्ट एवं उत्तम समय पर पूर्ण करने के लिए श्री गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होना बहुत ही आवश्यक हैैैै।

जिससे कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न हो सके, बुद्धि, विवेक, योग्यता, प्रतिभा के स्वामी गणेश भगवान की कृपा दृष्टि जाता के ऊपर बनी रहती है, जिनके द्वारा यह 8 मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष छाया ग्रह रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha ki jankari) का भी प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसकी शक्तियां इतनी अधिक विस्तृत एवं व्यापक होती है, कि किसी भी व्यक्ति विशेष के गुणधर्म में अद्वितीय रूपांतरण करने की क्षमता रखती हैै, इसके साथ ही उसके बुद्धि विवेक में उत्तम प्रखरता प्रदान करती है, तथा किसी भी प्रकार के भ्रम जाल में लिप्त होने से भी सुरक्षा प्रदान करने में भी सक्षम होती हैैैै।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष बाबा काल भैरव का दूसरा स्वरूप माना जाता है, जिनके नाम से काल एवं नकारात्मक शक्तियां कोसों दूर भागती है ऐसे दिव्य स्वरुप का अंश अष्ट मुखी रुद्राक्ष को माना जाता है।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksh pahnane ke fayde) में कई ऐसे औषधीय तत्व होते हैं, जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों में लाभ प्राप्त होते हैं, इनमें कई ऐसे तत्वों की प्रधानता होती है, जो जटिल एवं पुराने रोगों को भी ठीक करने की दिव्य गुणों से परिपूर्ण होते हैं, इसे धारण करने से त्वचा रोग एवं फेफरे से संबंधित रोग ,डरावने सपने आना ,रीढ़ की हड्डी आदि जैसे बीमारियों में भी इसके उत्तम लाभ देखने को मिलते हैं।

इन्हें धारण करने से मानसिक स्थिति किसी भी व्यक्ति विशेष की उत्तम होती है, ऐसे लोग जिनका मणिपुरम चक्र दूषित है, जिसके प्रभाव के कारण किसी न किसी प्रकार की बीमारियों से ग्रसित रहते हैं, शारीरिक परेशानियां दैहिक कष्ट उन्हें लगा ही रहता है।

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किसी एक समय में भी उनका स्वास्थ्य उत्तम नहीं रहता है, उनका शरीर उपयुक्त नहीं होता कि, वह विभिन्न कार्यों को समय अनुसार पूर्ण कर सके संपन्न कर सके ऐसे लोगों को अष्ट मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksh fayde) अवश्य धारण करना चाहिए।

इससे अनेक प्रकार की लाभ तो प्राप्त होते ही हैं, इसके साथ-साथ मणिपुरम चक्र में व्याप्त किसी प्रकार की त्रुटि को भी यह दूर करता है, जिससे आपको उत्तम स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है ।

इसे धारण करने से मन मस्तिष्क में असीम शांति की प्राप्ति होती है, गुप्त शत्रु का सर्वनाश होता है, शत्रु विजय के लिए सबसे उपयुक्त आठ मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksh pahnane ke labh) को माना जाता है, इसे धारण करने से राहु के द्वारा दिए जा रहे नकारात्मक प्रभाव ही निष्फल होने लगते हैं।

 

 

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राहु की क्रूर दृष्टि उस व्यक्ति विशेष पर पूरी तरह से निप्पल हो जाती है, द्वारा अष्ट मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है, इसके साथ ही राहु से संबंधित विभिन्न चीजों में उसे सफलता प्राप्त होती है।

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