चंदन की माला की पहचान (chandan ki mala ki pahchan)
चंदन की माला की पहचान-(chandan ki mala ki pahchan) चंदन जिसकी विशेषता होती है, कि उसके समक्ष भुजंग भी नतमस्तक हो जाता हैl इसकी सुरभि इतनी मनभावन ,इतनी मनमोहक ,इतनी शीतलता प्रदान करने वाली होती है, कि एक विषधारी भी इसके स्पर्श मात्र से शांत अवस्था एवं चिर निद्रा में चला जाता है। इसकी अमृतवल्ली स्पर्श से स्वयं नीलकंठ भी उत्तान शांत अवस्था में रहते हैं। यह आयुर्वेद की दृष्टि से जितना अधिक महत्व रखता है। उतना ही अधिक धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसकी उपयोगिता बहुत अधिक मानी जाती है। यह शक्ति वर्धक एवं शरीर की संरचनाओं में उत्सर्जित होने वाले अत्यधिक ऊष्मा ऊर्जा को अवशोषित करता है।
वैसे तो विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां प्राकृतिक संसाधन के रूप में प्रयोग में लाई जाती है, किंतु चंदन बहुत ही कीमती वनस्पति माना जाता है, तथा यह आर्थिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्व रखता है। मुख्यतः चंदन दो प्रकार के पाए जाते हैं- लाल चंदन तथा सफेद चंदन (chandan ki mala ki pahchan in hindi) इसकी मनमोहक सुगंध मन मस्तिष्क हृदय पर जैसे जादू कर देती है। यही कारण है, कि कोई भी जीव जंतु इस की ओर आकृष्ट होने लगता है, जो राहु किसी के जीवन को भ्रमित कर सकता है। भ्रम जाल में फंसा सकता है वैसे कुटिल राहु को भी मात्र इसके लेट से नियंत्रित किया जा सकता है।
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जब भी किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा चंदन (safed chandan ke fayde) का लेप का प्रयोग किया जाता है, तब यह राहु -केतु द्वारा विषाक्तता युक्त प्रभाव को प्रवाह कर देता है, या उसे प्रभावहीन बना देता हैl इसके प्रयोग से शत्रु बालू फाकने लगता है। इसका तिलक के रूप में प्रयोग करने से मस्तिष्क की आभा बढ़ती है तथा सौभाग्य चमक जाता है। यह बुद्धि- विवेक को बढ़ाता है।
विभिन्न प्रकार की मानसिक बीमारियों से निपटने में तथा तनाव की तंद्रा को नियंत्रण में रखने में भी इसकी अहम भूमिका मानी जाती है। यह पृथ्वी पर प्राप्त होने वाला बहुत हुई उपयोगी संसाधन माना जाता है। गुरु ग्रह की कुदृष्टि या अशुभ फल के प्रभाव को नष्ट करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। स्वयं जिसे भोलेनाथ भगवान रुद्र अलंकृत करते हो lउसका महत्व कितना हो सकता है। आप इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।
आज हम इस लेख के माध्यम से दोनों प्रकार के चंदन की पहचान के मापदंड क्या-क्या हो सकते हैं? उसके बारे में चर्चा करेंगे सर्वप्रथम पहले लाल चंदन की पहचान (chandan ki mala ki pahchan kaise karen) किस तरह से की जाए? इसके बारे में पहले हम जान लेते हैं-
चंदन की माला की पहचान(chandan ki mala ki pahchan)
उत्तर:- लाल चंदन को रक्त चंदन की लकड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसके वर्ण लाल रंग के होते हैं। यही कारण है, कि इसे रक्त चंदन के नाम से संबोधित किया जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे विश्व में लाल चंदन (chandan ki mala ko kaise pahchane) केवल भारत के भूमि पर ही इसके पेड़ पाए जाते हैं, इसलिए इसकी कीमत बहुत अधिक मानी जाती है। प्राकृतिक रूप से निर्मित होने वाले लाल चंदन की पहचान के रूप में यह मापदंड होता है, कि इसे जब पानी में डाला जाता है। तबीयत पानी की सतह पर बैठ जाता है। जिसके कारण यह पानी में डूबने जैसा प्रतीत होता है।
क्योंकि इसकी आंतरिक संरचना बहुत ही संगठित होती है, इसलिए यह पानी में तैरता नहीं है। सफेद चंदन को जब किसी ठोस वस्तु पर उसके विपरीत रगड़ा जाता है, तब इसके अंदर से बहुत ही मनमोहक सुगंध आती है, जबकि इस तरह की खूबी लाल चंदन (chandan ki mala ki pahchan kya hai) में नहीं देखने को मिलती है। इसमें सफेद चंदन की तरह कोई महक नहीं होता है। रक्त चंदन की यह विशेषता होती है, कि आप इसे कितने ही घंटों के लिए पानी में डालकर छोड़ दे इससे भले ही जल रक्त वर्ण का हो जाए किंतु इस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
या सूर्य की तपती हुई किरणों के बीच कितनी ही घंटों के लिए इसे छोड़ दे किंतु फिर भी इसके रंग में कोई भी प्रभाव देखने को नहीं मिलता है। यह अपना रंग किसी भी स्थिति में हल्का होने नहीं देता है। बल्कि जल में जाने के बाद इसका रंग और अधिक गहरा हो जाता है, जो भी इसे प्राकृतिक रंग प्राप्त होता है। वही इस प्रकार की क्रिया करने के बाद भी बना रहता है, किंतु यदि नकली रक्त चंदन हुआ तो इस प्रकार की गतिविधि करने से वह पूर्ण रूप से अपनी आभा को खो देता है, तथा वह देखने में कुरूप लगने लगता है। यह दूसरे लकड़ियों की तुलना में बहुत ही मजबूत होता है।
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इसलिए इसे जिस प्रकार दूसरी लकड़ीया तुरंत तोड़ दी जाती है, या काट दी जाती है, इतनी आसानी से इसे कांटा या तोड़ा नहीं जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण मापदंड यह है, कि जब आप इसे स्पर्श करेंगे। तब आप देखेंगे कि इसमें तैलीय पदार्थ जैसी चीज मौजूद नहीं है, जी हां इसमें जिस प्रकार आपने देखा होगा कि कई ऐसे पेड़ होते हैं, जिससे हम निष्कर्षण विधि के माध्यम से उनका तेल निकाल लेते हैं, जैसे- लोंग का पुष्प हो या सिनकोना जैसे पेड़ इन सभी से तैलीय पदार्थ को आसानी से एकत्रित किया जा सकता है, किंतु इससे नहीं।
सफेद चंदन की पहचान(safed chandan ki pahchan)
उत्तर:- श्वेत चंदन जो चंद्रमा समान शीतलता प्राप्त करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जिसके प्रयोग से कई प्रकार के ग्रहों की विपरीत चाल भी शांत हो जाती है। ऐसे में इसकी मांग बहुत अधिक बनी रहती है, जिसके कारण कई बार ऐसा देखा जाता है, कि इस महंगे उत्पाद को दूसरे समतुल्य युक्त चीजों से आका जाने लगता है। शीशम की लकड़ी को चंदन के तैलीय पदार्थ में डुबोकर उसे सफेद चंदन का (chandan ki mala ki pahchan ke fayde) रूप दे दिया जाता है, तथा बेच दिया जाता है।
किंतु जब भी इस तरह की स्थिति होती है, तब देखा जाता है, कि सुगंध धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है, तथा लकड़ी अपने वास्तविक स्वरूप का परिचय देने लगती है, इसलिए सफेद चंदन की (chandan ki mala ke fayde) लकड़ी को जांचने से पहले उसे कुछ घंटों के लिए पानी में डुबोकर छोड़ दें उसके बाद उसे कड़ी धूप में सुखा देंl आप देखेंगे कि यदि सही चंदन की लकड़ी होगी तो इतनी क्रिया करने के बाद भी जब आप उसे जीतेंगे, तो उससे बहुत ही मधुर्य सुगंध आती हुई प्रतीत होगी।
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जबकि नकली होने पर इस तरह की सुगंध प्राप्त नहीं होगी। दूसरा मापदंड यह है, कि जब आप किसी भी तरह कि संशय इसकी गुणवत्ता को लेकर रखते हैं, तो सबसे पहले उक्त लकड़ी को दो हिस्सों में काट दे काटने के बाद भी आपको तैलीय स्पर्श की अनुभूति हो रही है, तथा उसका सुगंध आपके मन मस्तिष्क पर अजीब सी छाप छोड़ रहा है, तो वह स्पष्ट रूप से सफेद चंदन (safed chandan ki mala ke fayde) ही है।
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