सभी रत्नों के उपरत्न – Sabhi Ratno Ke
Upratna
रत्न शास्त्र में अलग-अलग ग्रहों के लिए अलग-अलग रत्न बताए गए हैं, किंतु आज के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समय में मानव ने इतना अधिक तरक्की कर लिया है, कि हर चीज को वह इसकी मदद से हुबहू चीज को बना देता हैl उदाहरण के तौर पर क्लोन मानव द्वारा विभिन्न प्रकार के जीवो का क्लोन बनाया जाता है, जो देखने में पूरी तरह से वह जिस का क्लोन बनाया गया हैl उसी के जैसा दिखता है एवं उसी के समान उसके हाव-भाव होते हैं, इसलिए रत्न खरीदने वक्त थोड़ा सावधान रहने की जरूरत होती है, क्योंकि कई बार हमें पत्थर के नाम पर रासायनिक अभिक्रिया द्वारा निर्मित कांच के टुकड़े या कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न जो प्रयोगशाला में बनाए जाते हैं lहमें उच्च दाम पर दे दिए जाते हैं, वह भले ही देखने में बहुत सुंदर एवं आकर्षक होता है, किंतु जो बात प्राकृतिक रूप से निर्मित चीजों में होती है, वह बात मानव द्वारा निर्मित किसी भी चीज में नहीं होती है।
(sabhi ratno upratna kya hai)
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सृष्टि जिस चीज की रचना करती है lउसके अद्वितीय गुणों को देकर उसे जीवंत बना देती है, जबकि मानव द्वारा निर्मित कोई भी चीज में कभी भी ऐसी भावना उत्पन्न नहीं हो सकती है, चाहे मानव अपनी पूरी क्षमता से उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले चीज ही क्यों न बना लेl लोगों में यह संशय रहता है, कि रत्न बहुत महंगे होते हैंl इसके साथ-साथ ठगे जाने का भी खतरा बना रहता है, इसलिए विभिन्न प्रकार के रत्न के उपरत्न भी बहुत लोकप्रिय होते हैं lउपरत्न रत्न के समान ही लोगों को लाभ पहुंचाते हैं, लोगों को सकारात्मक अनुभव देते हैं, किंतु बस रत्न और उपरत्न में एक ही अंतर है।
रत्न की शक्तियां बहुत अधिक होती है, जबकि उनकी शक्तियां इतनी अधिक नहीं होती है, फिर भी यह कार्यों की पूर्ति के लिए धारण किया जा सकता है lरत्न की शक्तियां धीरे-धीरे खत्म होती है, जबकि उपरत्न की शक्तियो का क्षरण जल्द ही हो जाता है, इसलिए उपरत्न को बार-बार बदलना पड़ता है, जबकि रत्न को यदि एक बार धारण कर लिया जाए तो उसे सालों साल चला सकते हैं, जब कोई किसी के साथ बहुत बड़ी आकस्मिक दुर्घटना घटने वाली होती है, या किसी प्रकार की अप्रिय घटना घटने वाली होती है, तब यह रत्न टूट जाते हैं, और अपने ऊपर सारी नकारात्मक चीजें ले लेते हैं, या कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि इन में अचानक से त्रुटि उत्पन्न हो जाता है, ऐसा हमें बचाने के लिए इन रत्नों के द्वारा किया जाता है, जो केवल प्राकृतिक रूप से निर्मित रत्न में देखा जा सकता है।
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(sabhi ratno upratna kaise hote hai hai)
उपरत्न में भी यह शक्तियां विद्यमान होती है, जब किसी प्रकार का संकट हमारे ऊपर आने वाला रहता है, तो उपरत्न में कोई ना कोई त्रुटि उत्पन्न होने लगती है, या फिर वह पूरी तरह से टूट जाता है, जिससे हमें क्षति ना हो एवं आकस्मिक दुर्घटना से हमें अधिक क्षति ना पहुंचे और हम खुद को संभालने में सक्षम हो प्रकृति द्वारा दिए गए अनमोल संसाधनों का उपयोग कर लोग अपने जीवन के विभिन्न आयामों में इन उप रत्नों का उपयोग करते हैं, जिससे उनका जीवन सफल एवं सार्थक हो सके।
1. गुरु बृहस्पति
* गुरु बृहस्पति से संबंधित रत्न पुखराज होता है।
* इस रत्न का रंग पीला होता है, जिसे तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है, इसे धारण करने का शुभ दिन गुरुवार का होता हैl
* पुखराज रत्न का उपरत्न होता है। पीला बैरोंज, सुनहला या पीला हकीक ,टाइगर आदि।
2.सूर्य देव
* माणिक्य रत्न सूर्य देव से संबंधित रत्न होता है, इसका रंग देखने में गुलाबी होता है, तथा इसके संयोजक अल्युमिनियम ऑक्साइड लौह तत्व एवं क्रोमियम होते हैं।
* मानिक के रत्न को रविवार के दिन धारण किया जाता है।
* माणिक्य रत्न के उपरत्न है- रक्तमणि ,लालतुरमली ,तामड़ा सिंगली आदि
3. बुध ग्रह
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* बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व पन्ना रत्न करता है, जिसका रंग देखने में हरा होता है, बुध ग्रह जो हमारे बुद्धि का विवेक का एवं संचार तंत्र का कारक होता है, यह हमारे चेहरे के तेज का कारक होता है। इस रत्न को बुधवार के दिन धारण किया जाता है।
* पन्ना रत्न के उपरत्न है- हरा भेरूज ओनेक्स मरगज आदि।
4. चंद्र देव
* मोती रत्न चंद्रदेव से संबंधित रत्न होता है। यह रत्न देखने में बिल्कुल वह स्वर्ण का होता है, इसके और भी किस में पाई जाती है, जो सफेद होने के साथ-साथ और भी रंगों का मिश्रण होती हैl इसे सोमवार के दिन धारण किया जाता है।
* मोती रत्न का उपरत्न है- चंद्रकांत, मुक्ताशुक्ति ,उप्पल आदि।
5. मंगल ग्रह
(sabhi ratno ke naam kya hai)
* मूंगा रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल ग्रह का राशि रत्न मूंगा को माना जाता है, जो देखने में रक्त के सामान लाल होता है, इसके साथ ही इस रत्न को मंगलवार के दिन धारण किया जाता है।
* मूंगा का उपरत्न- विदरूम,शनि ग्रह
* शनि ग्रह से संबंधित रत्न नीलम रत्न हैl शनि ग्रह का राशि रत्न बताया जाता है, तथा यह देखने में नीले वर्ण का होता है, और इसे धारण करने का शुभ दिन शनिवार माना जाता है।
* नीलम रत्न का उपरत्न है -नीलम ,लिलिया ,जमुनिया, लाजवर्त ,नीली, नीला टोपाज आदिl
7. शुक्र ग्रह
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* शुक्र ग्रह जिसे विलासिता का स्वामी कहा जाता है, तथा हमारे भौतिक सुख- संसाधनों का मुख्य स्रोत भी शुक्र ग्रह को माना जाता है, तथा विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण भी इसका प्रमुख गुण होता है lइस ग्रह का राशि रत्न हीरा होता है, जिसे शुक्रवार के दिन धारण किया जाता है।
* हीरे के उपरत्न जरकन ,फिरोजा, कुरंगी आदि है।
8. राहु
(sabhi ratno ke upratna ke fayde)
* हमारी कल्पना शक्ति का कारकl हमारी त्वरित गति का जवाब राहु ग्रहl इस ग्रह की भौतिक ऊर्जाओं का समावेशन प्राप्त करने वाला दिव्य रत्न है- गोमेद, जिसे शनिवार के दिन धारण किया जाता है, ऐसा माना जाता है, कि मां सरस्वती की आराधना कर राहु की कृपा प्राप्त की जा सकती है या राहु के द्वारा रचे भ्रम जाल से हम खुद को मुक्त कर सकते हैं।
* इस रत्न का उपरत्न है- फिरोजा।
9. केतु
* केतु से संबंधित रत्न लहसुनिया होता है, केतु हमारे आध्यात्मिक स्तर, गुप्त शत्रु, मोक्ष की प्राप्ति आदि को निरूपित करता है।
* इस रत्न का उपरत्न लाजवर्त होता है।
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