एक मुखी रुद्राक्ष किसे पहनना चाहिए – Yek Mukhi Rudraksha Kise Pahanna Chahiye

एक मुखी रुद्राक्ष किसे पहनना चाहिए – Yek Mukhi Rudraksha Kise Pahanna Chahiye

 

एक मुखी रुद्राक्ष किसे पहनना चाहिए? Yek

 Mukhi Rudraksha Kise Pahanna

Chahiye

एक मुखी रुद्राक्ष किसे पहनना चाहिए??? रुद्राक्ष अपने अंदर ना जाने कितनी ही पारलौकिक शक्तियों को समाहित किए हुए रहता हैl उसमें भी सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ एक मुखी रुद्राक्ष माना जाता है, रुद्राक्ष भगवान भोलेनाथ का अभिन्न अंग माना जाता है lऐसा माना जाता है, कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान भोलेनाथ के अश्रु धारा से हुई हैl रुद्राक्ष अनेक प्रकार के होते हैं, तथा अलग-अलग रुद्राक्ष की शक्तियां भी अलग-अलग होती है, तथा वे अलग-अलग रूपों से किसी भी व्यक्ति विशेष के ऊपर अपना प्रभाव दिखाती हैl भले ही यह एक बीज के रूप में हमें प्रकृति के द्वारा प्राप्त होता है, किंतु अध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत ही उत्कृष्ट पद प्रदान किया गया है।

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रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha pahanne ke fayde) एक ऐसे वृक्ष से प्राप्त होता है, जो कि बहुत ही दुर्गम पहाड़ी इलाकों में खास करके ऊंचाई पर इस पेड़ के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु मानी जाती हैl हिमालय की कंधराओ में खासकर बीरल स्थानों पर इस वृक्ष की उत्पत्ति के लिए सबसे अच्छा वातावरण होता है, क्योंकि बीज विशिष्ट प्रकार के ही जलवायु में अपने अस्तित्व में आते हैंl विशिष्ट प्रकार के स्पर्श स्पंदन के बिना उनका जन्म संभव नहीं है, जिस प्रकार एक मानव भ्रूण को बनने के लिए उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता होती हैl उसी प्रकार रुद्राक्ष के बीज से एक वृक्ष बनने में विशिष्ट स्पंदन की आवश्यकता होती हैl विशिष्ट मिट्टी की आवश्यकता होती है, तथा आसपास का वातावरण भी उसके अनुकूल होना भी बहुत अधिक अनिवार्य होता है l

भारत के कुछ ही क्षेत्रों में रुद्राक्ष के पेड़ पाए जाते हैं, इसकी अत्यधिक उपयोगिता को देखते हुए लोगों के द्वारा अंधाधुंध प्रयोग में लाने के कारण भारत में इन पवित्र पेड़ों की संख्या काफी कम हो चुकी हैl दक्षिण भारत के कुछ प्रांतों में अभी भी यह पेड़ मौजूद है, किंतु सबसे उत्तम गुणवत्ता वाले रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha benefits in hindi) के वृक्ष भगवान भोलेनाथ के घर हिमालय से प्राप्त होता हैl विश्व में सबसे अधिक नेपाल के द्वारा रुद्राक्ष का उत्पादन किया जाता है, भारत के पड़ोसी राज्य से म्यांमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया जैसे देशों से भी पवित्र फल की प्राप्ति होती है।

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रुद्राक्ष का संबंध केवल भोलेनाथ से ही नहीं अपितु माता लक्ष्मी का भी स्वरूप माना जाता है, ऐसा माना जाता है, कि जिस भी स्थान पर अभिमंत्रित किया हुआ रुद्राक्ष रखा रहता है, या जिस घर में पूजा है। असल में अभिमंत्रित की हुई रुद्राक्ष की माला रुद्राक्ष रखा रहता है lउस घर से कभी भी लक्ष्मी निराश होकर नहीं जाती हैl उस घर में कभी भी दुख दरिद्रता का वास नहीं होता हैl माता लक्ष्मी की सदैव कृपा उस व्यक्ति विशेष के ऊपर तथा उसके परिवार वालों के ऊपर सदैव बनी रहती हैl कई जगहों पर तो ऐसा भी देखने को मिलता है, कि लोग मंत्रों से अभिमंत्रित कर अपनी तिजोरी आदि में भी एक मुखी रुद्राक्ष को रखते हैं, जिससे उनके आय के स्रोत में संचरण होता रहे किसी भी प्रकार से उसमें दिक्कतों का सामना ना करना पड़े lआय के नवीनतम स्रोत बनते रहे तथा उनके जीवन में कभी भी अन्न एवं धन से संबंधित कोई भी परेशानी न आए माता लक्ष्मी के आशीर्वाद का स्वरूप होता है, एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha kaise dharan karna chahie) जो जातक के प्रगति के सारे मार्ग को खोलने की क्षमता रखता है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जिस प्रकार इसके गुणों को वर्णित किया गया हैl उसी प्रकार वैज्ञानिक रूप से भी अब यह सिद्ध हो चुका है, कि रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha ke labh) धारण करने वाले जातकों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं से निजात मिलता है lउनके द्वारा किए गए कई प्रयोगो से प्राप्त निष्कर्ष बहुत ही आश्चर्यजनक रहे हैं, अब यह बात वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो चुकी है, कि रुद्राक्ष हमारी सूक्ष्म से सूक्ष्म कोशिकाओं पर अपना प्रभाव डालता है, इसके गुणों की कोई भी तुलनात्मक वस्तु पूरे विश्व में नहीं पाई जाती हैl

विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे रक्तचाप या हृदय से संबंधित रोग है, या किसी को नसू से संबंधित बीमारी हो या रक्त से संबंधित विकार सभी में यह बहुत अधिक उपचारात्मक रूप से अपना प्रभाव दिखाता हैl इसमें मौजूद औषधीय गुण इसकी उपयोगिता को और अधिक बढ़ा देते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष जिस जातक के द्वारा धारण किया जाता है lउसके लिए यह एक संरक्षक के रूप में कार्य करता है, तथा विविध प्रकार से यह उसकी रक्षा करता है। एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha kaun pahan sakta hai) धारण करने के अनेक लाभ होते हैं।

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एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha kaun dharan kare) सूर्य ग्रह को मजबूती प्रदान करने के लिए भी धारण किया जा सकता है, जो हमारे ब्रह्मांड के पिता समतुल्य के रूप में अलंकृत किए जाते हैं, तथा नौ ग्रहों में उन्हें राजा के रूप में निरूपित किया जाता है, जिनके प्रकाश के बिना किसी भी प्रकार की जीवन संभव नहीं है, ऐसे अलौकिक शक्तियों के स्वामी सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए भी एक मुखी रुद्राक्ष का उपयोग किया जा सकता है, ऐसे लोग जिनकी जन्म पत्रिका में सूर्य किसी दृष्ट स्थान पर स्थित है, या किसी जातक की जन्मपत्रिका में पूरी तरह से निष्क्रिय हैं, या सुप्त अवस्था में है, या किसी भी प्रकार से जातक के जीवन में नकारात्मक पहलुओं को बहुत अधिक बल प्रदान कर रहे हैं, तो ऐसी परिस्थिति में उसकी द्वारा सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव को निष्फल करने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है, इसके लिए जातक को सूर्य ग्रह के विशिष्ट मंत्रों से एक मुखी रुद्राक्ष को अच्छी तरह से अभिमंत्रित कर धारण करना चाहिए।

शुक्ल पक्ष के रविवार को धारण करना इसे सबसे उत्तम माना जाता है। यदि कोई जातक सूर्य ग्रह की कृपा प्राप्त करना चाहता है, तो उसके लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना सबसे लाभदायक सिद्ध हो सकता है, इसे धारण करने वाले जातकों को मान सम्मान में वृद्धि होती है, तथा उनकी नेतृत्व क्षमता बहुत अधिक सुदृढ़ होती है। विभिन्न प्रकार के सांसारिक दृष्टिकोण से एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha ke fayde) उन्हें अप्रतिम रूप से सफलता प्राप्त करने में मदद करता है, इसके साथ ही उनकी ऊर्जा चक्र को भी सुधारने में बहुत अधिक मदद करता है, क्योंकि रुद्राक्ष की प्रवृत्ति बहुत गर्म होती है, जिसे धारण करने से शारीरिक ऊर्जा चक्र में किसी भी प्रकार की आक्रामकता को यह पूरी तरह से दूर करता है, इसके साथ ही जातक के अंदर साहसिक गुणों को प्रबल बनाता है, इसे धारण करने वाले जातकों के आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।

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