टाइगर स्टोन धारण विधि – Tigar Stone
Dharan Vidhi
टाइगर स्टोन धारण विधि- (tigar stone Pahanne ki vidhi) टाइगर स्टोन एक ऐसा रत्न है, जो देखने में बिल्कुल बाघ के नेत्रों के समान दिखता है, तथा जिस प्रकार बाघ के शरीर के ऊपर धारियां मौजूद रहती है, काले एवं पीले रंग की उसी प्रकार टाइगर रत्न में भी काले एवं पीले रंग की धारियां प्राकृतिक रूप से मौजूद रहती है, जो इसे बहुत ही अनोखा रूप प्रदान करती है lयह एक अद्वितीय रत्न है, जिसे लोगों के द्वारा त्वरित गति से कार्यों को पूर्ण करने के लिए धारण किया जाता है।
टाइगर रत्न (tigar stone dharan karne ki vidhi) को बिना किसी जातक के लग्न कुंडली के देखे हुए भी धारण किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे कई सारे ग्रह होते हैं, कई व्यक्तियों की लग्न कुंडली में जो अवस्था में होते हैं, या पूरी तरह से निष्क्रिय होते हैं, ऐसी उस ग्रह को जागृत करने के लिए या फिर उससे संबंधित कार्यों की पूर्ति करने के लिए भी इस अद्भुत रत्न को धारण किया जाता है, इसलिए इसे धारण करने की विधि विभिन्न ग्रहों के लिए विविध प्रकार से होता है।
टाइगर स्टोन धारण करने की विविध विधि निम्न प्रकार से है-
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1. शनि ग्रह कर्म प्रधान देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए टाइगर रत्न (tiger eye stone dharan karne ki vidhi) को धारण किया जा सकता हैl शनि जो हमारे कार्यों को डालने की आदत एवं आलस जैसी गलत आदतों को पूरी तरह से छुटकारा दिलाने के कारक होते हैं, एवं हमारे भाग्य को प्रबल बनाते हैं।
शनि ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए टाइगर रत्न (tiger stone pahnane ke fayde) को चांदी में मध्यरात्रि में मध्यमा उंगली में धारण किया जाता हैl शुक्ल पक्ष के शनिवार को इसे धारण किया जा सकता है, धारण करने से पूर्व शनि ग्रह के बीज मंत्रों से इसे अभिमंत्रित किया जाता है lउसके पश्चात भगवान शिव शंभू का आशीर्वाद लेकर इसे धारण किया जाता है।
2. गुरु ग्रह -हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार के मांगलिक कार्यों की संपन्नता का कारक गुरु ग्रह को माना जाता है, तथा हमारे द्वारा किए जा रहे कोई भी कार्य मेहनत का फल प्राप्त करने का योग भी गुरु के द्वारा ही प्रदान किया जाता है।
शुक्ल पक्ष के किसी भी गुरुवार के दिन टाइगर रत्न (tiger stone pahnane ke labh) को तर्जनी उंगली में चांदी धातु में गुरु ग्रह के मंत्रों से अभिमंत्रित कर इस रत्न को सूर्य उदय के पश्चात धारण किया जा सकता है।
3. राहु- राहु जो हमारे विस्तृत ज्ञान का कारक होता है, तथा हमारी चतुराई का कारक भी राहु ग्रह को माना जाता है, यह एक मिथ्या के समान होता है।
राहु से संबंधित कार्यों की पूर्ति के लिए टाइगर रत्न को शुक्ल पक्ष के किसी भी बुधवार के दिन सूर्य अस्त होने के बाद टाइगर रत्न (tiger eye stone ke fayde in hindi) को विधिवत तरीके से राहु मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित कर धारण किया जाना चाहिएl इसे राहु की कृपा प्राप्त करने के लिए दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।
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4. केतु- केतु जो हमारे जीवन में आकस्मिक घटना घटने का कारक होता है, एवं परमात्मा से आत्मा का मिलन का कारक भी केतु ग्रह होता है, हमारे बौद्धिक विकास का कारक भी केतु को माना जाता हैl
केतु की कृपा प्राप्त करने के लिए टाइगर रत्न को शुक्ल पक्ष के किसी भी बुधवार के दिन सूर्य उदय से पूर्व चांदी में इसे बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण किया जाता हैl
5. मंगल- साहस पराक्रम जैसी चीजों को प्राप्त करने के लिए एवं प्रशासनिक विभाग में सफलता प्राप्त करने के लिए टाइगर रत्न (tiger stone ke labh) को धारण किया जा सकता हैl
शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को स्नानादि से निवृत्त होकर सर्वप्रथम इसकी सुधि गंगा जल पंचामृत से करने के पश्चात इसे मंगल के मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाना चाहिए तथा इसे चांदी में पिरो कर तर्जनी उंगली में धारण किया जाना चाहिएl
6. बुध ग्रह- हमारे बुद्धि का कारक हमारे विवेक का कारक बुध ग्रह को माना जाता है, जिसे ज्योतिष विज्ञान में राजकुमार की उपाधि से अलंकृत किया गया हैl इस की कृपा प्राप्त करने के लिए भी इस विशिष्ट रत्न को धारण किया जा सकता हैl
शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन टाइगर रत्न (tiger stone benefits in hindi) को स्नानादि से निवृत्त होकर गंगा जल एवं पंचामृत से शुद्धिकरण करने के पश्चात बुध के मंत्रों के द्वारा इसे अभिमंत्रित किया जाना चाहिए तथा टाइगर रत्न को धारण करने का सबसे उपयुक्त धातु चांदी को माना गया है, इसे कनिष्ठा अंगुली में धारण किया जाना चाहिए।
7. चंद्रमा- जो हमारे मन का कारक होता है, हमारी मानसिक प्रसन्नता का कारण भी चंद्र से संबंधित होता हैl हमारी मानसिक शांति का कारक भी चंद्र को ही माना जाता है।
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इसकी कृपा प्राप्त करने के लिए जातक को सर्वप्रथम टाइगर रत्न को गंगाजल एवं पंचामृत से पवित्र करने के पश्चात तक चंद्र के मंत्रों से अभिमंत्रित कर अनामिका उंगली में सूर्य अस्त होने के पश्चात भगवान शिव शंभू को याद करते हुए टाइगर रत्न को धारण किया जाना चाहिए।
8. शुक्र ग्रह- हमारी विलासिता की चीजों का संबंध शुक्र ग्रह से होता है, तथा सांसारिक सुख सुविधाओं का कारक भी शुक्र ग्रह होता है, भौतिक सुख साधन ऐश्वर्या का कारक भी शुक्र को माना जाता है।
इस ग्रह की कृपा को प्राप्त करने के लिए इस रत्न के पेंडेंट को चांदी में मढवा कर शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह के बीज मंत्रों से अभिमंत्रित कर lइसे धारण करना चाहिए lइसे धारण करने का सबसे उपयुक्त समय सूर्य उदय के पश्चात होता है।
9. सूर्य ग्रह- सूर्य ग्रह जो हमारे स्वस्थ काया का कारक होता है, हमारी आकर्षण युक्त आभा मंडल का कारक भी सूर्य ग्रह को माना जाता है।
टाइगर रत्न का उपयोग रूबी रत्न के स्थान पर किया जाता है, ताकि सूर्य से संबंधित ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकेl सर्वप्रथम इसे गंगा जल तथा पंचामृत से शुद्धिकरण करने के पश्चात इसे धूपबत्ती दिखाया जाता है, सूर्य के बीज मंत्रों से टाइगर रत्न (tiger stone dharan karne ke labh) को अभिमंत्रित किया जाता हैl उसके पश्चात भगवान विष्णु का नाम लेते हुए इस रत्न को धारण करना चाहिए।
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