चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान – 4 mukhi rudraksha ki pahchan

चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान – 4 mukhi rudraksha ki pahchan

चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान – 4 mukhi

 rudraksha ki pahchan

चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान (4 mukhi rudraksha ki pahchan) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आज का मानव बहुत ही उत्तम स्तर तक पहुंच चुका हैै। शायद अब तक जितने भी माननीय वर्ग हुए हैं, उन सभी में से वर्तमान का मानव उत्कृष्ट श्रेणी में जगह पा सकता है, किंतु भले ही आज का मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सर्वोत्तम स्तर तक पहुंच चुका है, किंतु उसमें सामाजिक एवं नैतिक पहलुओं का पतन बहुत ही तेजी गति से हो रहा है, जिसके प्रभाव से शायद ही कोई विशेष वर्ग बच गया हो।

अभी के युग मेककिसभी चीज का प्राकृतिक स्वरूप प्राप्त करना जैसे नामुमकिन सा लगने लगा है, क्योंकि विज्ञान के माध्यम से तथा उपकरणों के माध्यम से लोग प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले संसाधनों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें कृत्रिम रूप प्रदान करने लगे हैं, जिसकी वजह से बहुत सी चीजें हमें कृत्रिम रूप से प्राप्त होने लगी है, तथा हम उन लाभों से वंचित रह जाते हैं।

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चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान,

 

जो हमें प्राकृतिक रूप से निर्मित चीजों से प्राप्त होता है, ऐसे ही एक संसाधन है। चार मुखी रुद्राक्ष जिसे ना केवल अध्यात्मिक चीजों से परिपूर्ण माना जाता है, बल्कि उसमें ऐसे ऐसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने की क्षमता भी रखते हैं, किंतु बाजार में नवीनतम उपकरणों की मदद से कुशल कामगारों के द्वारा किसी वस्तु विशेष 4 मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha kaisa hota hai) का स्वरूप प्रदान कर बेचा जा रहा है, जिसकी वजह से लोगों के मन में यह संशय होना स्वाभाविक है, कि उनके द्वारा धारण किया जाने वाला रुद्राक्ष सही है या नहीं हैl आध्यात्मिक दृष्टिकोण से रुद्राक्ष एक बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है।

रुद्राक्ष को लोग भगवान भोलेनाथ का स्वरूप मानकर कई अनंत कानों से पूजा अर्चना करते आ रहे हैं, तथा उन्हें धार्मिक युक्तियों से परिपूर्ण मानकर उसे धारण भी करते हैं। रुद्राक्ष जो हिमालय की कंदरा उसे प्राप्त होता है। एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं कीमती संसाधन है, यह अमूल्य संसाधन हमें सृष्टि के रचयिता के द्वारा वरदान के स्वरूप में प्रदान किया गया है, ताकि हम आसानी से ब्रह्मांड के सात्विक तत्वों के साथ जुड़ सके हम आसानी से ईश्वरीय शक्तियों के साथ संपर्क साध सके lइसके अंदर व्याप्त ऊर्जा शक्ति चमत्कारिक रूप से स्पंदन करती है l

जब किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा इसे धारण किया जाता है, तब उसे अनेक प्रकार से यह शक्ति सुरक्षा प्रदान करती है। ऐसे महत्वपूर्ण संसाधन को धारण करने से पूर्व उसकी शुद्धता की जांच परख करना बहुत आवश्यक होता है, तभी हम इस के प्राकृतिक गुणों को प्राप्त कर सकते हैं हम इसके लाभ को प्राप्त कर सकते हैं, अन्यथा यदि यह अपने सही मापदंड के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है, तो उसका तात्पर्य है, कि वह एक नकली रुद्राक्ष है, तथा हमें उससे किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त होने वाला नहीं है, आइए जानते हैं। चार मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksh ki jankari) को हम किन प्रमाणों के आधार पर यह कह सकते हैं कि वह एक असली रुद्राक्ष है –

1. 4 मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksh ko kaise pahchane) की सतह पर चार प्राकृतिक रेखाएं होती है। कई बार कुशल कारीगरों की मदद से कृत्रिम रूप से किसी भी लकड़ी को 4 मुखी रुद्राक्ष का रूप प्रदान करने की कोशिश की जाती है, भले ही उनमें ऊपर से चार दिखाएं दिखाई देती हो किंतु जब उन्हें ध्यान से देखा जाता है, तब उनके ऊपर सपाट पठार दिखाई पड़ता है, किंतु यदि यही चार मुखी रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है l

तो उसके ऊपर का भाग उभरा हुआ दिखाई देता है जो किसी भी मशीन के द्वारा ऐसा बनाना संभव नहीं है, क्योंकि प्रकृति जब भी किसी चीज का निर्माण करती है। उसमें अपने अद्वितीय गुणों को अवश्य डालती है तथा दुनिया में हर चीज अपने आप में अद्भुत है। उसका कोई भी दूसरा स्वरूप मौजूद नहीं है, जबकि कृत्रिम रूप से बने हुए कोई भी चीज में पूरी तरह से 100% समानताएं देखने को मिलती है, जबकि प्राकृतिक रूप से निर्मित किसी भी चीज में कोई न कोई भी भिन्नता अवश्य दिखाई पड़ती हैl

2. प्रकृति जब भी किसी भौतिक संरचना का निर्माण करती है, या कोई भी संसाधन जब प्राकृतिक रूप से बनाया जाता है, तो उसमें कई दिव्य गुण मौजूद होते हैं, और रुद्राक्ष तो स्वयं भगवान भोलेनाथ का दूसरा स्वरूप है, तो ऐसे में इस में प्रकृति ने कितनी सहजता से कई ऐसे गुण डाले हैं, जो इसे अपने आप में ऊर्जा स्रोतों का पुंज बनाता है 4 मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha ki pahchan kya hai) में ऐसे विद्युत चुंबकीय तत्व पाए जाते हैं। 4 मुखी रुद्राक्ष विद्युत चुंबकीय तत्वों से बहुत अधिक परिपूर्ण होता हैl

यही कारण है, कि जब इसे दो सिक्को के मध्य रखा जाता है, तब इसमें प्राकृतिक रूप से गति देखने को मिलती है lयह अपने आप किसी भी दिशा में मुरने लगता है इसमें स्वयं ही गति उत्पन्न होने लगती है आप चाहें तो तांबे के दो सिक्को का उपयोग कर या रोजमर्रा के जीवन में उपयोग में लाए जाने वाले सिक्कों से भी इस चीज को स्वयं परीक्षण करके देख सकते हैं, जबकि आपको यदि 4 मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksh ki kya pehchaan hai) में इस गुण को देखने को नहीं मिल रहा है, तो इसका तात्पर्य है, कि वह एक कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष हैl

3. प्राकृतिक रूप से निर्मित वस्तुओं की संरचना काफी संगठित होती है। अंदर से वह काफी मजबूत होती है, तथा उनके कण आपस में बहुत ही उत्तम रूप से जुड़े हुए होते हैं, यही कारण है, कि उनका घनत्व अधिक होता है, जिसकी वजह से उन्हें सुदृढ़ संरचना की प्राप्ति होती है। प्राकृतिक रूप से निर्मित रुद्राक्ष को जब जल के पात्र में डाला जाता है, तब वह जल की सतह पर जाकर बैठ जाता है जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष में यह गुण देखने को नहीं मिलते हैं।

हालांकि यह परीक्षण पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हो सकता है, क्योंकि कई ऐसे लकड़ियां बाजार में उपलब्ध है, जो पानी में भी डूबने की क्षमता रखती है यही कारण है, कि इस विधि को सबसे उपयुक्त मापदंड के रूप में रुद्राक्ष के परीक्षण के लिए नहीं उपयोग में लाया जा सकता है।

4. रुद्राक्ष को जब सरसों तेल से लेपन किया जाता है, या सरसों के तेल में कुछ देर के लिए डुबोकर रखा जाता है, तब इसकी सतह पहले की अपेक्षा गाढ़ा रंग की दिखाई पड़ने लगती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष में किसी भी प्रकार का परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा।

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