एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम – Yek
Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam
एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के लिए निम्नलिखित नियम या पद्धति अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं-
1. सर्वप्रथम एक उत्तम एक मुखी रुद्राक्ष (Yek Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam Kya Hai) का चयन करें तथा उसकी वास्तविकता को अच्छे तरीके से विभिन्न मापदंडों के आधार पर जांच परख लें, जब आप उसकी सत्यता पर पूरी तरह से संतुष्ट हो जाएl तभी उसे उपयुक्त दिन धारण करने के लिए चुने क्योंकि यदि आपके द्वारा धारण किया जाने वाला रुद्राक्ष किसी भी प्रकार से त्रुटि युक्त होगा, तो उसके उत्तम प्रभाव आपको देखने को नहीं मिलेंगेl इसके साथ ही आप असली रुद्राक्ष से जो चमत्कारिक लाभ एवं औषधीय गुण आपको प्राप्त होने वाला है। उससे आप वंचित रह जाएंगे lअतः सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, की आपके द्वारा लिया जाने वाला रुद्राक्ष पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित हो, तभी उसके आपको उत्तम लाभों की प्राप्ति हो सकती है।
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2. रुद्राक्ष (Yek Mukhi Rudraksha Ke Niyam) भगवान भोलेनाथ से संबंधित है, या यह कहे कि उनका ही अंश हैl उनके ही दिव्य शक्तियों को अपने अंदर समाहित करने वाला एक प्रकार का फल हैl अतः भोलेनाथ से संबंधित उत्तम दिन सोमवार या शिवरात्रि के दिन माना जाता है, इसलिए रुद्राक्ष को धारण करने का सबसे उपयुक्त दिन सोमवार है, या फिर महाशिवरात्रि के दिन भी इसे धारण किया जा सकता है।
3. रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha dharan karne ke niyam) को किसी भी रूप में काले धागे में पिरोने से बचना चाहिए lआप इसे लाल या पीले धागे में पिरो कर धारण कर सकते हैं lअतः इसे लाल या पीले धागे में पीरवा कर लाए या इसे आप सोने या चांदी में भी पीरवा सकते हैं।
4. किसी भी चीज की अपनी एक ऊर्जा का स्तर होता है, किंतु ऊर्जा के अस्तर को जगाना बहुत आवश्यक है, अन्यथा हम किसी भी प्रकार के लाभ से वंचित रह जाएंगे। रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha benefits in hindi) में भी बहुत सी शक्तियां सुप्त अवस्था में विद्यमान रहती है lअतः इन्हें विशिष्ट शिव मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता है, तथा इसका शुद्धिकरण भी करना बहुत आवश्यक होता है, अन्यथा इसके द्वारा अवशोषित की गई, किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा आपको भी हानि पहुंचा सकती है।
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5. शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार को स्नानादि से निवृत्त होकर प्रातः काल सर्वप्रथम रुद्राक्ष को अपने पूजा स्थल में गंगाजल से धुलकर पंचामृत से स्नान आदि करवा कर किसी स्वच्छ कपड़े के ऊपर रखे। उसके बाद उसके ऊपर 108 बेलपत्र के पत्ते तथा पीपल की एक पत्ते को भी उसके ऊपर चढ़ाएं, साथ में कुछ टुकड़े ब्रास के भी रख दे lकुछ देर के लिए रुद्राक्ष को उसी अवस्था में रहने दे, क्योंकि बेलपत्र के पत्तियों में बहुत अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं,तथा कई प्रकार की चमत्कारिक गुणों से यह पता युक्त होता हैl इसके साथ ही पीपल पेड़ में भी बहुत से ऐसे शक्तियां विद्यमान रहती है, जो कि हमारे कार्य को सर्वार्थ सिद्ध होने में बहुत मदद करती है, तथा ब्रास किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने की क्षमता रखता है lअतः कुछ घंटों के लिए रुद्राक्ष को उन पत्तों में एवं ब्रास में ही रहने देl जिससे रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha ke labh) की शक्तियां धीरे-धीरे जागृत अवस्था तक पहुंचने लगे।
6. उसके बाद धूपबत्ती अच्छे थे रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha ka mahatva) को दिखाएंl गूगल ब्रास से एवं कपूर से रुद्राक्ष की आरती उतारे, उसके बाद स्वच्छ आसन लेकर भगवान भोलेनाथ का कोई भी विशिष्ट मंत्र जितना अधिक हो सकेl उतनी अधिक संख्या में जप करें आपकी वर्तनी पूरी तरह से शुद्ध होने चाहिएl जब आप किसी भी मंत्र को उच्चारित कर रहे हो। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा जाप किया जाने वाला मंत्र बिल्कुल उपांशु रूप में जाप किया जा रहा हो, यदि आप किसी भी प्रकार से मंत्रों को स्वयं उच्चारित करने में समर्थ नहीं है, तो आप किसी योग्य पंडित जी की भी मदद ले सकते हैं।
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7. मंत्र संख्या जितनी अधिक होगी उतना ही आपके लिए यह रुद्राक्ष बहुत अधिक चमत्कारिक रूप से कार्य करेगा, उसके पश्चात रुद्राक्ष को ले जाकर शिवलिंग के पास कुछ देर के लिए रहने दे तथा मंदिर में बैठकर आप चाहे तो भगवान भोलेनाथ का महामृत्युंजय मंत्र जप करेंl इससे यह रुद्राक्ष और अधिक शक्तिशाली तौर पर अभिमंत्रित होगा उसके बाद 21 या ग्यारह परिक्रमा करने के बाद आप मन में भोलेनाथ का ध्यान करते हुए, इस रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha dharan karne se kya hota hai) को धारण कर ले तथा भगवान से प्रार्थना करें कि यह आपके लिए काफी सिद्ध कारी होl
8. जिस भी सोमवार को आपके द्वारा यह रुद्राक्ष धारण किया गया है lउस दिन भूलकर भी किसी तरह का मांस मदिरा का भक्षण ना करेंl किसी भी तरह का वर्जित कार्य भी रुद्राक्ष की माला (ek mukhi rudraksha ki mala ke fayde) को धारण करके नहीं करना चाहिए, अन्यथा इसकी शक्तियां पूरी तरह से छीन्न होने लगती हैंl यह पूरी तरह से अशुद्ध हो जाता है, बिल्कुल भी यह कार्य युक्त नहीं रहता है lअतः किसी भी अशुद्ध कार्य को करने से पूर्व इसे अच्छी जगह उतार कर रख दें, फिर स्नानादि करने के पश्चात ही इसे धारण करेंl
9. जिस भी व्यक्ति विशेष के द्वारा इसे धारण किया जा रहा है, उसे अपनी आदतों में बदलाव लाने की आवश्यकता है, उसे झूठ बोलने की आदत छोड़ देना चाहिए, अन्यथा इससे इसका अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है, तथा आपके द्वारा धारण किया जाने वाला रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha ki jankari) बहुत अधिक प्रभावित होने लगता है, एवं नकारात्मक घटनाओं का आगमन आपके जीवन में होने लगता है।
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10. जिस भी व्यक्ति विशेष के द्वारा इसे धारण किया जा रहा हैl उसे भगवान भोलेनाथ पर पूरी आस्था होनी चाहिए तथा उसके द्वारा धारण किए जाने वाले रुद्राक्ष पर भी पूरी तरह से विश्वास होना चाहिए, उसके मन में किसी भी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए lउसकी आस्था शक्ति बहुत अधिक मजबूत होना आवश्यक हैl
11. जिस भी व्यक्ति विशेष के द्वारा इसे धारण किया जा रहा है, उसका आचरण रहन-सहन उत्तम होना चाहिए, किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य में लिप्त होने से इस की शक्तियां खत्म होने लगती हैl
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