जमुनिया रत्न के नुकसान – Jamuniya Ratna Ke Nuksan

जमुनिया रत्न के नुकसान – Jamuniya Ratna Ke Nuksan

 

जमुनिया रत्न के नुकसान – Jamuniya

 Ratna Ke Nuksan

जमुनिया रत्न के नुकसान- (jamuniya ratna ke nuksan kya hai) जन्मपत्रिका के किसी भाव में शनि देव यदि अस्त या निर्बल स्थिति में है, तो उनके द्वारा दिए जा रहे कष्ट को उनके द्वारा दिए जा रहे प्रतिकूल प्रभाव को विभिन्न प्रकार के उनसे संबंधित रत्न एवं उपरत्न धारण कर उसे खत्म किया जाता है, या उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए भिन्न-भिन्न उपाय अपनाए जाते हैंl उन्हीं उपरत्न एवं रत्नों में से एक होता है। जमुनिया जिसका प्रयोग नीलम के स्थान पर शनि ग्रह के स्थिति को मजबूत बनाने के लिए धारण किया जाता है, किंतु कभी-कभी रत्न भी या उपरत्न भी अपने दुष्प्रभाव दिखाने लगते हैं। इसके पीछे के कारण बहुत से हो सकते हैं, जैसे- बिना अभिमंत्रित किए हुए या शुद्ध किए हुए रत्न को धारण कर लिया गया हो, जिसकी वजह से प्रतिकूल प्रभाव जातक को प्राप्त हो रहे हो क्योंकि रत्न किया खासियत होती है, कि यह शक्तियों को अवशोषित करता है, चाहे वह शक्ति सकारात्मक हो या नकारात्मक हो।

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jamuniya ratna ke nuksan

 

 

दूसरा कारण यह भी हो सकता है, कि जिस जमुनिया का प्रयोग उपयोगकर्ता के द्वारा किया जा रहा है, हो सकता है, वह किसी के द्वारा पहले से ही उपयोग में लाया गया हो जिसकी वजह से पहले की नकारात्मक ऊर्जा उस में व्याप्त हो, जिसकी वजह से जातक को लाभ के जगह हानि की प्राप्ति हो रही हो। तीसरा कारण यह हो सकता है, कि जन्मपत्रिका का अवलोकन या विश्लेषण पूर्ण रूप से विस्तृत रूप से नहीं किया गया हो, जिसकी वजह से भी यह संभावना हो सकती है, कि जमुनिया रत्न (jamuniya ratna ke nuksan in hindi) के दुष्प्रभाव जातक को देखने को मिले क्योंकि रत्न यदि अनुकूल प्रभाव अपने साथ रखते हैं, तो इसके साथ- साथ विध्वंसक शक्तियां भी उनमें समाहित रहती है, जिसकी वजह से यदि किसी के जन्मपत्रिका के विभिन्न भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति के अनुरूप इन रत्नों एवं उप रत्नों को नहीं धारण किया गया, तब ऐसे में यह अपने विध्वंसक परिणाम जातक के जीवन पर दिखाने लगते हैं।

जमुनिया रत्न के निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं-

1. उपयोगकर्ता अचानक से मानसिक दबाव में जीने लगता हैl विभिन्न प्रकार की मानसिक चिंता है, उसे घेरे रहती है, जिसके कारण उसके दैनिक क्रियाकलापों में भी मन नहीं लगता है, तथा समय अनुसार दैनिक क्रियाकलाप भी वह पूर्ण नहीं कर पाता है, चीजें उसके जीवन में बहुत अधिक अव्यवस्थित होने लगती है, जिसकी वजह से हर वक्त उलझन में रहने लगता है।

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2. जमुनिया रत्न (jamuniya ratna ke nuksan aur fayde) के दुष्प्रभाव के कारण जातक को डरावने सपने आना आम बात हो जाती है, इसके साथ-साथ अनिद्रा जैसी समस्या से भी वह ग्रसित होने लगता है।

3. जातक के मन में हर वक्त किसी ना किसी चीज को लेकर भय बना रहता है, जिसकी वजह से उसकी मन मस्तिष्क की शांति पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। अंजाना है, उसे हर वक्त सताते रहता है, चाहे वह सो रहा हो या जाग रहा हो या फिर वह किसी भी कार्य में लिप्त हो किंतु उसकी मन की शंका मन का भी कम नहीं होता है, ना चाहते हुए भी जातक अपनी ऊर्जा डर के कारण सोचने में ही खत्म कर देता है।

4. यदि जमुनिया रत्न (jamuniya ratna ke baare me bataye) का उपयोग किसी और रत्न के साथ भी कर लिया जाए तब भी ऐसी परेशानियां देखने को मिलती है, जैसा की सर्वविदित है, कि शनि ग्रह पितृ शत्रु है, ऐसी स्थिति में यदि किसी जातक के द्वारा माणिक रत्न के साथ शनि का रत्न जमुनिया धारण किया जाता है, तो ऐसे में दो बड़ी शक्तियों के ऊर्जा के टकराने से बहुत बड़े विध्वंसक परिणाम देखने को मिलते हैं lजातक की मानसिक स्थिति हो शारीरिक स्थिति हो या, सामाजिक स्थिति हर प्रकार से उसे समस्याएं घेरने लगती हैl सूर्य ग्रह की जहां सीमा समाप्त होती हैl वहां से शनि ग्रह का साम्राज्य शुरू होता है, ऐसे में इन दोनों के रत्नों को एक साथ किसी भी जाता के द्वारा धारण किया जाता है, तो स्थितियां विकराल होती चली जाती हैl अंततः जातक सर्वनाश की कगार पर खड़ा हो जाता है, इसलिए यदि कभी इन दोनों रत्नों को एक ही व्यक्ति को धारण करना पड़ा तो, ऐसी स्थिति में अपनी जन्म पत्रिका का विशिष्ट अवलोकन किसी विद्वान पंडित के द्वारा अवश्य करा लें अन्यथा इसके परिणाम विध्वंसक भी हो सकते हैं, जो समय के साथ अपना और अधिक विकराल रूप रूप ले लेगा।

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5. आकस्मिक शत्रु आघात बहुत अधिक बढ़ जाता है। प्रत्यक्ष शत्रु हो या अप्रत्यक्ष शत्रु हर ओर से जातक को बहुत अधिक परेशानियां शत्रुओं के द्वारा होने लगती हैl कार्यक्षेत्र हो या आज पड़ोस के लोग गुप्त शत्रुओं की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है, तथा जातक के भेद को लेकर शत्रु पक्ष उस पर काफी हावी रहने लगता हैl कभी-कभी तो शत्रुओं के द्वारा अत्यंत भ्रामक बातें जातक के बारे में फैलाई जाने लगती है, जिससे उसकी छवि भी बहुत अधिक धूमिल होने लगती है, कई बार ऐसा भी होता है, कि उन लोगों का विश्वास उस पर से उठ जाता है lवह विश्वासपात्र के योग्य नहीं रह जाता है, लोग उसकी छवि को इतनी अधिक खराब बना देते हैं, कि चाह कर भी जातक को उठने का मौका नहीं मिल पाता है। कार्यक्षेत्र में उसे अनेक प्रकार की विडंबनाए परेशानियां झेलनी पड़ती है, कई बार तो उसे अपने काम धंधे नौकरी पेशा आदि से भी हाथ धोना पड़ जाता हैl इतना हद तक हावी हो जाता है, कि उसके घर की सुख -शांति तक छीण हो जाती है। पारिवारिक कलह भी उत्पन्न होने लगता है, जिससे मन बहुत अधिक दुखी एवं व्याघ्र रहने लगता है।

6. जातक अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होने लगता हैl स्वास्थ संबंधित बीमारियां होने लगती है, गठिया ,किडनी, पथरी या आंखों से संबंधित बीमारियां भी उसे सताने लगती है।

गले की बीमारी की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है।

7. आकस्मिक दुर्घटना के योग भी बहुत अधिक बढ़ जाते हैं, चोट लगने जलने जैसी समस्या कम हो जाती है, एवं वाहन दुर्घटना जैसे कुयोग भी उत्पन्न होने लगता है।

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