पुखराज को अभिमंत्रित कैसे करें – Pukhraj
Ko Abhimantrit Kaise Karen
पुखराज को अभिमंत्रित कैसे करें – (pukhraj ratna ka upyog kaise kare) आज के मानव के लिए यह संशय हमेशा बना हुआ रहता है, जब भी वह किसी भी रत्न हो या उपरत्न को धारण करते हैं, क्योंकि
आज के नए दौर में हम अपने सभ्यताओं अपने मान्यताओं से काफी दूर आ गए हैं, तथा कभी-कभी तो बहुत से लोगों के द्वारा पूजा या धार्मिक चीजों का मजाक उड़ाते भी देखा गया है, किंतु आपको यह बात ध्यान रखना चाहिए, कि हमारे पूर्वजों ने यदि कोई पद्धति या प्रणाली स्थापित की है, तो उसके पीछे कुछ न कुछ अवश्य उनकी एक अच्छी सोच उनकी एक अच्छी नियत रही होगी तभी तो उनके द्वारा इतने उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले चीजें बनाई गई है, किंतु आज हम केवल मशीन युग में जी रहे हैं।
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हमें मशीनों से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है। उठते सोते जागते केवल मशीन ही मशीन हमारे चारों ओर फैल चुकी है, और हम वास्तविक दुनिया से बिल्कुल अलग जीवन जी रहे हैं, या यूं कहें कि हम एक वर्चुअल वर्ल्ड में जी रहे हैं,जहां चीजें होती तो है, पर उनका अस्तित्व नहीं होता है। चीजें दिखती तो है, किंतु उनमें जान नहीं होता है।चीजें मौजूद तो रहती है, किंतु वह जीवंत नहीं होती है। एक से बढ़कर एक चीजें हैं, किंतु उनमें प्राणशक्ति मौजूद नहीं है।हमारे पूर्वज कितना उम्दा ज्ञान रखते होंगे कि उनके द्वारा एक से बढ़कर एक ग्रंथों की रचना की गई है, जिसका उपयोग बहुत से लोगों के द्वारा भी किया गया। उनका अध्ययन भी किया गया एवं वह विभिन्न प्रकार के आविष्कारों को पूर्ण करने में भी सक्षम रहें, किंतु कुछ वर्ग ऐसा भी है, जो इन सभी चीजों को दकियानूसी मानता है, जबकि ऐसा नहीं है, ब्रह्मांड में जो भी चीज है।
वह किसी न किसी तरह से हर किसी पर अपना प्रभाव डालती है, जैसे -हम लोग जब ग्रेविटेशनल लॉ ऑफ मोशन पढ़ते हैं, तो उसमें भी यही बताया गया है, कि विश्व में कोई भी चीज हो छोटी या बड़ी सभी एक दूसरे पर अपना वर्चस्व दिखाती हैl सभी एक दूसरे पर अपना बल डालती हैं lअपना प्रभाव दिखाती है, या डालती है, तो सोचिए हमारे द्वारा उच्चारित मंत्रों से कितनी ऊर्जा इस ब्रह्मांड में उत्सर्जित होती होगी lयह ब्रह्मांड ऊर्जा का स्रोत है, आप जो भी है, या जिस भी अवस्था में है, सभी चीजों में आपका अपना ऊर्जा का बहुत महत्व रखता हैl यदि आप अधिक ऊर्जावान है, तो आपको सफलता हासिल करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा, आप कर्मठ होकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक पहलुओं पर लगाएंगे, जिससे आपका जीवन सार्थक हो सफल हो किंतु यदि आपके अंदर ऊर्जा ही नहीं रहेगी या वह सुप्त अवस्था में रहेगी तो ऐसे में आप कोई भी कार्य करने योग्य नहीं रहेंगे।
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आप बस आलस्य के शिकार बने रहेंगे या बीमार बने रहेंगे इसलिए हमारे पूर्वजों के द्वारा जो मंत्रों, योग आदि की विद्या हमें प्रदान की गई है lउन सभी का उपयोग कर हमें अपना जीवन सुगम एवं सार्थक बनाना चाहिए lउन्ही उत्कृष्ट ज्ञान रखने वाले हमारे पूर्वजों के द्वारा रचित विद्या है ज्योतिष विद्या और रत्न शास्त्र जिसके माध्यम से यह बताया गया है, कि कैसे आकाशीय पिंडों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है, तथा कैसे वह हमसे इतने दूर होने के बाद भी हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं, एवं उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए या उनके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए या उनके द्वारा दी जा रही किसी भी परेशानी को दूर करने के लिए हम कैसे पृथ्वी पर उपयुक्त उपलब्ध संसाधन का प्रयोग करके विषम परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं।
विभिन्न ग्रहों नवग्रहों उपग्रहों के लिए हमें विभिन्न प्रकार के रत्न तथा उपरत्न बताए गए हैं, जिनका प्रयोग कर हम किसी भी विशिष्ट ग्रह का कृपा प्राप्त कर सकते हैं, उसकी ऊर्जा ओं का समावेशन अपने अंदर स्थापित कर सकते हैंl उसकी शक्तियों को कैसे हम प्राप्त कर सकते हैं, तथा अपना जीवन स्वर्ग के समान सुंदर बना सकते हैं, अपना जीवन खुशियों से भरा बना सकते हैं lउन्हें विभिन्न प्रकार के रत्नों में से एक रत्न होता हैl पुखराज रत्न (pukhraj ratna ko abhimantrit kaise kare) जिसे रत्नों का राजा कह कर संबोधित किया जाता हैl यह गुरु ग्रह बृहस्पति से संबंधित होता है, इसमें बहुत सी शक्तियां गुरु ग्रह बृहस्पति से संबंधित विद्यमान रहती है।
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प्रकृति द्वारा प्रदत यह अनमोल रत्न (pukhraj ratna ke fayde) को यदि हम मंत्रों से इसकी शक्तियों को जगाने में सक्षम हुए तो हम इसके बहुत से लाभ अपने जीवन पर देख सकते हैं lइसे जागृत करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के गुरु मंत्रों का उच्चारण करना पड़ता है, तथा कुछ क्रियाकलापों को करने के पश्चात हम इसके ऊर्जाओं को पूर्ण स्तर तक जगाने में सक्षम होते हैं।
गुरु ग्रह से संबंधित पुखराज रत्न को धारण करने से पूर्व उसे अभिमंत्रित करना बहुत आवश्यक होता है, इसके लिए सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर पुखराज रत्न (pukhraj ratna ko abhimantrit kaise karte hai) को गंगाजल से पवित्र करें उसके पश्चात पंचामृत आदि से उसका अभिषेक करें तत्पश्चात धूपबत्ती, गूगल, कपूर आदि दिखाकर उसे अपने घर के मंदिर में रखकर गुरु ग्रह के बीज मंत्रों का उच्चारण करें, जितना अधिक आप इनके मंत्रों का उच्चारण करेंगे उतना अधिक यह रत्न ऊर्जावान बनेगा यदि आप गुरु ग्रह के मंत्रों को खुद से उच्चारित नहीं कर सकते हैं, या किसी कठिनाई में है, तो आप किसी विद्वान पंडित की भी सहायता ले सकते हैं, जिनकी मदद से आप गुरु ग्रह के मंत्रों को उच्चारित करवा कर इसकी ऊर्जाओ को जागृत करवा ले, उसके पश्चात इसे किसी मंदिर में ले जाकर भगवान के चरणों में रखते हैं।
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यदि विष्णु भगवान का मंदिर हुआ तो सबसे उत्तम होगा उसके बाद भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें तथा वहां के पंडित का भी आशीर्वाद प्राप्त करें तथा उन्हें उत्तम दान दक्षिणा अवश्य प्रदान करें, उसके बाद पुखराज रत्न (pukhraj ko shudh kaise kare) आप अपने मन में अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए कहते हुए या फिर अपनी महत्वाकांक्षा पूर्ण होने के लिए कहते हुए, इस रत्न को धारण करें इस दिन भूलकर भी मांस ,मदिरा जैसे वर्जित चीजों का सेवन करने से बचें। घर के बड़े बुजुर्गों के लिए यदि संभव हो तो कोई पीली मिठाई अवश्य ले जाए या उनके लिए कुछ उपहार अवश्य ले जाए, घर जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें lऐसा माना जाता है, कि बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद हमें बड़े से बड़े परेशानियों से निकालने में सक्षम होता है, तथा उनका आशीर्वाद 7 पीढ़ियों तक लगता है। गुरु ग्रह की कृपा आप पर हमेशा यूं ही बनी रहेगी तथा आपके कार्य भी बनते चले जाएंगे।
अभिमंत्रित पुखराज रत्न कहां से प्राप्त करें –
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