मोती की अंगूठी किस उंगली में पहनी जाती है – Moti Ki Anguthi Kis Ungali Me Pahni Jati Hai

मोती की अंगूठी किस उंगली में पहनी जाती है – Moti Ki Anguthi Kis Ungali Me Pahni Jati Hai

 

 मोती की अंगूठी किस उंगली में पहनी जाती है

 -Moti Ki Anguthi Kis Ungali Me Pahni

 Jati Hai

मोती की अंगूठी (moti ratna ki anguthi kis ungali pahne) किस उंगली में पहनी जाती है, लोगों के मन में यह सवाल अक्सर भ्रमित करने वाला होता है, क्योंकि उन लोग चाहते हैं, कि यदि मोती रत्न उनके द्वारा धारण किया जा रहा है, तो उन्हें सर्वोत्तम लाभ उन्हें जल्द से जल्द प्राप्त हो तो आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे कि किस उंगली में इसे धारण करना चाहिए, जिससे आपको अद्भुत लाभ प्राप्त हो सके।

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मोती एक अद्वितीय रत्न है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों के द्वारा विभिन्न प्रकार की चीजों में किया जाता रहा है lइस रत्न का महत्व केवल ज्योतिष शास्त्र या रत्न शास्त्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मोती रत्न (moti ratna ki anguthi kis ungli mein pahnte hai) का औषधीय गुण भी कुछ कम नहीं होता हैl प्राचीन काल से ही लोग इस के आभूषणों को धारण करना बहुत पसंद करते थे क्योंकि यह देखने में तो सुंदर एवं आकर्षक होते ही थे, इसके साथ-साथ इसके भौतिक गुणों की भरमार उन्हें इसकी और अधिक आकर्षित करती थीl आज भी लोग मोती के आभूषण धारण करना बहुत पसंद करते हैं lयह देखने में होते ही इतने मनभावन कि कोई भी व्यक्ति इनकी और बिना आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता है lप्राचीन काल के लोग तो ऐसा मानते थे कि मोती रत्न में जादुई शक्तियां विद्यमान होती है, जो प्राकृतिक रूप से उन्हें कुदरत के द्वारा प्रदान की जाती हैl विश्व के विभिन्न देशों में भी मोती रत्न का प्रचलन उसी प्रकार से व्यापक है, जिस प्रकार भारतीय परंपरा में इसको स्थान दिया गया है।

मोती रत्न (moti ratna ki anguthi kis ungali me pahanna chahiye) एक ऐसा दिव्य रत्न है, जो हमें प्रायः समुद्री जीवो के अंदर से प्राप्त होता है l इसका निर्माण विभिन्न प्रकार की क्रियाकलापों से मोलास्क के अंदर धीरे धीरे कर के संगठित होकर मोती का स्वरूप ले लेता है। मोती रत्न का संयोजक कैल्शियम कार्बोनेट होता है। मोती रत्न को चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है। मोती रत्न में चंद्र से संबंधित विभिन्न प्रकार की शक्तियां विद्यमान होती है lयह एक ऐसा रत्न होता है, जिसमें गुप्त रूप से बहुत सी पारलौकिक शक्तियां विद्यमान होती है, तथा चंद्र ग्रह की विभिन्न ऊर्जाओं को यह अपने अंदर अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता समाहित रखता है।

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मोती रत्न (moti ratna ki anguthi kis ungali me dharan kare) की उत्पत्ति दो तरीके से होती है, पहला तरीका है, प्राकृतिक रूप से दूसरा होता है, कल्चरड मोती, जिस प्रकार मछली का पालन करने के लिए विभिन्न प्रकार से तालाबों का निर्माण किया जाता है। उसी प्रकार तालाबों में मोती की पैदावार की जाती हैl भारत में अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा, लक्ष्यदीप के कुछ क्षेत्रों में की खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त वातावरण तथा स्थान माना गया हैl मोती विभिन्न रंगों के हो सकते हैं, जैसे -गुलाबी सफेद मटमैला आदि सबसे दुर्लभ मोती काले रंग की होती है, जो सबसे अधिक महंगा होता है, जिसकी कीमत चुकाना हर किसी के बस की बात नहीं होती हैl भारत के बंगाल की खाड़ी से प्राप्त मोती रत्न देखने में गुलाबी रंग का होता है, तथा इसका रंग इतना मनमोहक होता है, कि प्रायः इसका उपयोग लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार के आभूषण बनाने में किया जाता है।

 

 

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आजकल तो जो मोती रत्न हमें उपलब्ध होते हैं। वह प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से बनाए जाते हैं। जिसकी वजह से हमें वह सारी खूबियां नहीं मिलती है, या उनमें दिखाई पड़ती है, जो प्राकृतिक रूप से निर्मित मोती रत्न (moti ki anguthi kis ungali me dharan karen) में कुदरती तौर पर विद्यमान होती हैl प्राकृतिक मोती की प्राप्ति मुख्यतः विश्व के कई देशों से उनके समुद्री क्षेत्रों से प्राप्त होता है, जैसे इराक कि फारस की खाड़ी में बसरा नामक स्थित स्थान से उत्तम मोती रत्न प्राप्त किया जाता है।

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श्रीलंका के क्षेत्रों से भी हमें विभिन्न प्रकार के मोती रत्न (moti ki anguthi ke fayde) पाए जाते हैं, जिसे हम काटील मोती के नाम से भी जाने जाते हैंl इसका रंग बहुत ही उत्तम दर्जे का होता है, किंतु यह रत्ना इराक के क्षेत्र से पाए जाने वाले मोती रत्न की तुलना में उतना अधिक गुणवत्ता वाला नहीं होता है। अमेरिका के मेक्सिको की खाड़ी से प्राप्त होने वाला मोती रत्न की आभा काली होती है, तथा यह बहुत अधिक महंगा बिकता है, वेनेजुएला जैसे देशों से प्राप्त मोती रत्न का रंग सफेद होता है।

मोती रत्न (moti ratna dharan karne ka mahatva) का महत्व बहुत अधिक होता है, जिसकी वजह से बहुत से लोग इसे धारण करना चाहते हैं, यह एक लोकप्रिय रत्न है, तथा विश्व व्यापी रत्न है। मोती रत्न को धारण करने से व्यक्ति अपने ऊपर नियंत्रण स्थापित करने की अद्भुत क्षमता इस रत्न से प्राप्त करता है, तथा इस रत्न को धारण करने से हमारा क्रोध, द्वेष ,काम जैसी चीजों पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित होता है, जिस भी व्यक्ति के द्वारा यह धारण किया जाता हैl उसे रुपयों पैसे संबंधित परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता हैl उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगती है, मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि उस पर सदा बनी रहती है।

मोती रत्न (moti ratna ki anguthi pahanne se kya hota hai) को धारण करने से बहुत सी बीमारियां जैसे अनिद्रा, डरावने सपने आना, चिल्लाना, चिरचिरा हट मानसिक अवसाद जैसे चीजों में यह बहुत कारगर होता है, तथा दवाइयों के समान अपना प्रभाव दिखा कर रोगी को जल्द से जल्द ठीक करता हैl यह हमारे अंदर की नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार अधिक बढ़ा देता है, जिससे हमारा मन मस्तिष्क हमेशा शांत एवं प्रसन्नता के भाव में विलीन रहता है।

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यदि आप मोती रत्न (moti ratna ki anguthi dharan karne ke fayde) धारण करने जा रहे हैं, तो आपको यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए, कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा मोती रत्न पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित हो क्योंकि यदि एक कृत्रिम रूप से निर्मित हुआ तो आपको वह विशिष्ट लाभ नहीं मिल पाएंगे, जिसकी कामना लिए आप यह रत्न धारण करना चाहते हैं lयह रत्न धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त हमारे दाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली को माना जाता है, तथा इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस भी अंगूठी को धारण करने जा रहे हो, वह 5 रत्ती से कम ना हो और आपके द्वारा धारण किया जा रहा अंगूठी पूरी तरह से अभिमंत्रित हो, कई लोगों के द्वारा बाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में भी यह रत्न धारण किया जाता है।

सामान्यतः मोती रत्न (moti ratna ki anguthi ke labh) की अंगूठी को आप दाहिनी हाथ की कनिष्ठा उंगली या बाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में धारण किया जाता है, आप जिसमें चाहे उसमें धारण कर सकते हैंl चंद्र देव की कृपा दृष्टि इसको धारण करने से आपको सदैव प्राप्त होगी तथा ईश्वरीय कृपा भी आप पर बरसेगी, जिससे आपके कार्य सार्थक रूप से पूरे होंगे।

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