नीली पत्थर की पहचान – Nili Pathar ki
Pahchan
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नीली पत्थर की पहचान– (nili pathar ki pahchan in hindi) नीली उपरत्न है, जो कि नीलम के स्थान पर धारण किया जाता है, तथा शनि ग्रह से संबंधित यह एक उपरत्न है, एवं जिन जातकों के द्वारा किसी भी परिस्थिति के वजह से नीलम रत्न धारण करने में असमर्थता होती है, तो ऐसी स्थिति में उनके द्वारा यह उपरत्न धारण किया जाता हैl यह भी नीलम के द्वारा प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है, तथा इसमें भी शनि से संबंधित अच्छे एवं दिव्य गुण मौजूद रहते हैं lयही कारण है, कि शनि का सबसे उत्कृष्ट उपरत्न नीली उपरत्न को माना जाता है, तथा विभिन्न प्रकार के दोषों को खत्म करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
यह भी देखने में नीलम (nili pathar ki pahchan kaise kare) के समान ही नीले वर्ण का होता है, बिल्कुल अपराजिता पुष्प के समान नीला इसका रंग देखने में बिल्कुल नीलकंठ के गर्दन के समान नीला होता हैl इसका रंग देखने में बिल्कुल मोर की गर्दन के समान नीला होता है, जो कभी-कभी काला भी दिखाई पड़ता हैl नीलम की कीमत बहुत अधिक होती है, एवं हर किसी के बस की बात नहीं होती है, कि इतना महंगा रत्न धारण कर सकें एवं उस पर से ठगाने का भी डर रहता हैl भले ही किसी भी तरह से नीलम रत्न को किसी भी तरह से कृत्रिम रूप से निर्मित कर लिया जाए किंतु जो प्राकृतिक नीलम के गुण होते हैं lउसमें कोई भी नहीं डाल सकता है।
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नीलम शनि का रत्न होने की वजह से इसका लाभ भी जातकों को इसे धारण करने से बहुत प्राप्त होता है, किंतु विशिष्ट परिस्थितियों में नीली उपरत्न (nili pathar ki pahchan kya hai) भी बहुत कारगर सिद्ध होता हैl lनीलम एवं नीली उपरत्न में यही अंतर है, की नीलम का जो गुण होता हैl उसका क्षरण बहुत धीमे-धीमे होता है, जबकि नीली उपरत्न होने की वजह से उसकी ऊर्जा का क्षरण जल्दी ही हो जाता है, तथा कुछ समय अवधि के बाद वह पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता हैl उसकी ऊर्जा पूरी तरह से समाप्त हो जाती हैl ऐसी स्थिति में उसे फिर से अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर धारण किया जाता हैl कई लोग तो रत्नों या उप रत्नों को कुछ समय बाद बदल भी देते हैंl नया रत्न या उपरत्न तो फिर से अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर विधिवत तरीके से धारण करते हैं।
नीलम रत्न (nili pathar kaisa hota hai) की तरह नीली उपरत्न भी बहुत तेजी से अपना प्रभाव दिखाता हैl यह उपयोगकर्ताओं को बहुत ही तीव्र गति से अपना प्रभाव दिखाता हैl इसकी सकारात्मक ऊर्जा बुरी नजर एवं नकारात्मक ऊर्जा को पूरी तरह से नष्ट कर देती है lयदि उपयोगकर्ताओं के मन में कोई नकारात्मकता रहती भी है, तब भी नीली रत्न उसे पूरी तरह से नष्ट कर देता है, एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार को बढ़ा देता है, जिससे उसके इर्द-गिर्द का माहौल काफी शांति भरा रहता है, एवं हर्ष उल्लास जैसी स्थिति बनी रहती हैl नीली रत्न स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में बहुत लाभ पहुंचाता है, तथा जातक को त्वरित गति से आराम पहुंचाता हैl अशुभ ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को ,प्रतिकूल प्रभाव को दूर करता है।
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नीली रत्न (nili stone ke fayde) उपयोगकर्ता को चुस्त-दुरुस्त रखने में बहुत मदद करता है, तथा आलस्य सुस्ती जैसी चीजों को कोसों दूर रखता है lजातकों को नीली रत्न प्रेरणा युक्त बनाता है, तथा उनके उत्साह को कभी भी कम नहीं होने देता हैl यह लोगों की बुरी नजर ईर्ष्या इसके साथ-साथ अन्य नकारात्मक ऊर्जा जैसे ऊपरी बाधा संबंधित चीजों का प्रभाव भी पूरी तरह से नष्ट कर देता है, जिससे जातक पूरी तरह से सुरक्षित रहता हैl यह जिस भी जातक के द्वारा धारण किया जाता है lउसके लिए केवल नीली रत्न के रूप में नहीं बल्कि संरक्षक के रूप में भी कार्य करता हैl यह जिस भी व्यक्ति के द्वारा धारण किया जाता है lउसकी मानसिक चेतना को पूरी तरह से स्वस्थ बना देता है, तथा नकारात्मक विचारों को पूरी तरह से उस से कोसों दूर रखता है, एवं उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को बहुत मजबूत बनाता हैl इसके साथ साथ उसके चित को या शांति भी प्रदान करता है।
नीली रत्न (nili stone benefits in hindi) की खासियत होती है, कि नकारात्मक लोगों की पहचान उपयोगकर्ताओं के द्वारा आसानी से किया जा सकता हैl उनकी छठी इंद्रिया बहुत जागृत होती है, जिससे वह लोग लोगों को पहचानने में सक्षम होते हैंl यह सब चीजें केवल नीली रत्न के प्राकृतिक प्रभाव के कारण देखने को मिलता हैl आपके जीवन में जिस चीज का भी अभाव रहता है lउस चीज को नीली रत्न पाने की पूरी संभावना बनाता हैl शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार के गोचर जैसे शनि की ढैया ,शनि की साढ़ेसाती जैसी चीजों में यह रत्न विशेष रूप से चमत्कारिक परिणाम दिखाता है, तथा इस ग्रह के द्वारा दिए जाने वाले प्रतिकूल प्रभाव को दूर करने की पूरी कोशिश करता है।
1. नीली पत्थर (nili pathar ki jankari) की यह खास पहचान होती है, कि जब आप इसे घूम कर देखते हैं, तो आपको यह कभी-कभी बैंगनी नीला रंग तो कभी-कभी काला रंग दिखाई पड़ता है।
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2. प्राकृतिक रूप से नीली के अंदर आपको विभिन्न प्रकार के मकड़जाल देखने को मिल सकते हैं, तथा रेखा बिंदु आदि भी उसमें दिखाई पड़ सकता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित नीली में यह विशेषता देखने को नहीं मिलती है।
3. नीली रत्न (nili pathar dharan se kya hota hai) पूरी तरह से पारदर्शी नहीं होता है, यह अर्ध पारदर्शी होता है, तथा इसके अंदर रेशा से प्राकृतिक तौर पर मौजूद रहता है, जबकि नकली रत्न में यह गुण देखने को नहीं मिलता हैl वह पूरी तरह से पारदर्शी होता है।
रत्नों की जांच परख करना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि लोग अपने लोभ में आकर आपको हो सकता है, असली नीली के जगह कोई कांच का टुकड़ा ही पकड़ा दे, जिसका प्रभाव आप कितने ही मंत्र को उच्चारित कर अभिमंत्रित करें किंतु वह रहेगा तो कांच ही उसमें प्राकृतिक रूप से कोई भी भौतिक गुण मौजूद नहीं होगा, जिसकी वजह से वह कभी भी मंत्रोच्चार से अभिमंत्रित नहीं होगाl इसके साथ साथ आपको वह लाभ नहीं प्राप्त होगा जो नीली पत्थर (nili pathar dharan karne ke fayde) धारण करने से प्राप्त हो सकता है।
इसलिए कोई भी रत्न खरीदने से पहले उसके सभी मापदंडों एवं पैमानों कि अच्छे से जांच परख कर ले इसके साथ-साथ उसका प्रमाण पत्र भी अवश्य प्राप्त करें जिससे यह पूरी तरह से निर्धारित हो सकेगा कि वह रत्न सच में प्राकृतिक रूप से पूरी तरह से निर्मित है, और एक बात यह भी है, कि जो भी असली रत्न होते हैं, या उपरत्न होते हैं, उनकी कीमत बहुत अधिक होती है, यदि नीली रत्न (nili pathar ke fayde) आपको कम कीमत पर उपलब्ध हो रहा है, तब भी उसे खरीदने से बचें क्योंकि उससे आपको लाभ तो होगा नहीं उल्टा आपके पैसे भी चले जाएंगे आप ही के पैसे का नुकसान होगा।
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