पुखराज किस उंगली में धारण करना चाहिए –
Pukhraj Kis Ungali Me Dharan Karna
Chahiye
पुखराज किस उंगली में धारण करना चाहिए, जिससे हमारे जीवन पर इसके सर्वोत्तम परिणाम देखने को मिले, हम इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें हम विभिन्न प्रकार के अनुकूल परिस्थितियों का स्वागत अपने जीवन में कर सकें।
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पुखराज रत्न (pukhraj kis ungli mein pehna jata hai) हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है, तथा इसके परिणाम जब अच्छे मिलने लगते हैं, तो हमारे भाग्य खुल जाते हैं। हमारे जीवन में धन ऐश्वर्य वैभव किसी चीज की कमी नहीं रह जाती हैl इसका रंग पीला, नीला, गुलाबी, सफेद आदि कुछ भी हो सकता हैl यह रत्न बहुत कठोर होता है, जिसकी वजह से जब आप इसे ताप पर रखेंगे तो यह चटकेगा का नहीं बल्कि इसकी चमक और अधिक बढ़ जाएगीl यह पहले की तुलना में और अधिक आकर्षक दिखने लगेगा। कुंडली में अवस्थित विभिन्न ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही विभिन्न रंगों के पुखराज रत्न धारण किए जाते हैं।
भारत में जो पुखराज रत्न पाए जाते हैंl उनकी गुणवत्ता उत्कृष्ट नहीं होती हैl उसमें उत्तम गुणवत्ता वाले भौतिक गुण नदारद रहते हैंl इसी वजह से भारत के पुखराज रत्न निम्न श्रेणी में आते हैं, जबकि म्यानमार ,जापान, श्रीलंका, ब्राजील आदि जैसे देशों से प्राप्त पुखराज रत्न उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले होते हैं, तथा उसके भौतिक गुण सर्वोत्तम माने जाते हैं, फिर भी ब्राजील तथा म्यानमार देशों से खनन किए जाने वाले पुखराज रत्न (pukhraj kis ungli mein dharan karen) को विश्व प्रसिद्ध उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले पुखराज रत्न की श्रेणी में रखा जाता है, तथा उनका मूल्य बाकी सभी पुखराज रत्नों से सबसे अधिक होता है।
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इन रत्नों का उपयोग लोगों के द्वारा सौंदर्य वृद्धि करने के लिए तथा आभूषणों के लिए तथा समाज में मान प्रतिष्ठा पाने के लिए तथा अपने जीवन में ज्ञान का प्रसार बढ़ाने के लिए ,अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए, तथा अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए, तथा अपने दांपत्य जीवन को सुखी एवं परिपूर्ण बनाने के लिए तथा विभिन्न प्रकार की महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए धारण किया जाता है।
हमारे वैदिक ज्योतिष विज्ञान में यह बताया गया है, कि विभिन्न प्रकार के ग्रहों के लिए विभिन्न प्रकार के दिन निर्धारित किए गए हैं lयह आकाशीय पिंड समय-समय पर हमारे जीवन पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालते रहते हैं, तथा इनका प्रभाव इन के खास 1 दिन पर अधिक देखने को मिलता है, जिसकी वजह से यदि वह ग्रह आपके जीवन में उच्च अवस्था में रहते हैं, तो उस विशिष्ट दिन में आपको लाभ होती है। बहुत ही अच्छे अच्छे खबरें आपको मिलती है, तथा उस दिन आपके इर्द-गिर्द का माहौल खुशियों भरा रहता है, तथा आपके मन में शांति व्याप्त रहती है, तथा चारों और परिस्थितियां आपके अनुकूल बनी हुई रहती है, और यदि वह ग्रह जो आपकी कुंडली के भाव में नीच अवस्था में स्थित होते हैं, तो उनके विशिष्ट दिन पर आपको हानि होती है, तथा बहुत से विकट परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है।
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हर ओर परेशानी का माहौल बना हुआ रहता है, तथा परिस्थितियां आपके विपरीत रहती हैंl यह एक बहुत आश्चर्यजनक बात है, कि कैसे इन आकाशीय पिंडों का संबंध पृथ्वी पर निर्धारित दिनों से संबंधित है, तथा कैसे उनका संबंध विभिन्न प्रकार के रत्नों से स्थापित किया गया होगा और तो और सबसे आश्चर्यजनक बात यह भी है, कि हमारे हाथों में मौजूद उंगलियां भी हर एक ग्रह को प्रदर्शित करती है, तथा हर एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैl हमारे हाथों की रेखाओं को देखकर हस्त रेखा के विशेषज्ञ लोग यह जान जाते हैं, कि कौन से ग्रह हमारे मजबूत अवस्था में है, और कौन से ग्रह हमारे अल्प अवस्था में है।
पुखराज रत्न (pukhraj kis ungli mein pahnte hai) के वैसे तो बहुत से रंग पाए जाते हैं, जो निम्न प्रकार से होते हैं lगुलाबी, पीला ,नीला, आसमानी ,सफेद आदि किंतु इनमें से हर एक वर्ण का पुखराज रत्न किसी विशिष्ट ग्रह को निरूपित करता हैl यह कोई जरूरी नहीं है, कि यदि पुखराज है, तो वह गुरु ग्रह का ही रत्न होगा इसलिए इनके रंग निर्धारित करते हैं, कि हम इन्हें किस उंगली में किस दिन तथा किन मंत्रों से अभिमंत्रित कर धारण कर सकते हैं, जैसे-
1.पीला पुखराज– पीला पुखराज गुरु ग्रह से संबंधित होता है, तथा इसे गुरु ग्रह के बीज मंत्रों से अभिमंत्रित कर इसे गुरुवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है lआप चाहे तो दाएं हाथ या बाएं हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर सकते हैं, किंतु बहुत से विद्वान ज्योतिषियों का मद होता है, कि जो लोग किसी न किसी तरह से धन अर्जन करते हैं lउन लोगों को पुखराज रत्न (pukhraj ratna pahanne ke fayde) हमेशा दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करनी चाहिए, इससे वह अपने लक्ष्य से नहीं भटकते हैं, तथा अपने कार्यों को के प्रति समर्पित रहते हैं।
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2.सफेद पुखराज रत्न– सफेद पुखराज रत्न (pukhraj ratna ki jankari) शुक्र ग्रह से संबंधित होता है, तथा कभी-कभी हीरे की जगह लोगों के द्वारा इस रत्न को ही धारण किया जाता है, तथा इसे शुक्र ग्रह के विभिन्न मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता है, एवं इसे शुक्रवार के दिन अनामिका उंगली में धारण किया जाता है। आप इसे दाएं या बाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण कर सकते हैं।
3.नीला पुखराज रत्न– नीला पुखराज रत्न (pukhraj ratna pahanne se kya hota hai) शनि ग्रह से संबंधित होता है, तथा यदि नीलम नहीं किसी को मिलता है, या नीलम के स्थान पर इस रत्न को तवज्जो दी जाती है, तो उसके स्थान पर यह रत्न बहुत से लोगों के द्वारा धारण किया जाता है, क्योंकि नीले तथा काले वर्ण के चीजों पर अधिकार शनिदेव का होता है। इस रत्न को शनिवार के दिन शनि मंत्रों से अभिमंत्रित कर इस अंगूठी को मध्य उंगली में धारण किया जाता है।
गुलाबी पुखराज रत्न– (pukhraj ratna dharan karne ke fayde)इस रत्न को माणिक रत्न के स्थान पर धारण किया जाता है। गुलाबी पुखराज रत्न सूर्य ग्रह से संबंधित होता है, तथा इसमें भी माणिक रत्न के जैसे गुण होते हैं, जिसकी वजह से इसे सूर्य रत्न की उपाधि भी प्राप्त है lइस रत्न को सूर्य के बीज मंत्रों से अभिमंत्रित करने के पश्चात रविवार को इससे अनामिका उंगली में धारण कर सकते हैं। आप चाहे तो दाएं या बाएं हाथ की किसी भी उंगली में इसे धारण कर सकते हैं।
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