पुखराज रत्न पहनने की विधि – Pukhraj Ratna Pahanne Ki Vidhi

पुखराज रत्न पहनने की विधि – Pukhraj Ratna Pahanne Ki Vidhi

 

 पुखराज रत्न पहनने की विधि – Pukhraj

 Ratna Pahanne Ki Vidhi

पुखराज रत्न (pukhraj ratna dharan karne ki vidhi) पहनने की विधि जानने के बाद हम इसके लाभों को और अधिक उठा सकते हैं, तथा इसकी संपूर्ण ऊर्जा का समावेशन पा सकते हैं, रत्न ब्रह्मांड के सबसे बड़े ग्रह गुरु बृहस्पति ग्रह को निरूपित करता है।

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पुखराज रत्न (pukhraj stone ko dharan karne ki vidhi) देखने में बिल्कुल स्वर्ण के समान होता है। सूर्य के किरणों के समान होता है, पलाश के फूल के रंग के समान इसका रंग पीला होता है, जो हमारे मन मस्तिष्क को तरोताजा कर देता है। ज्योतिष शास्त्र में पुखराज रत्न के अनगिनत लाभों को बताया गया हैl यह एक महत्वपूर्ण रत्न है, जिसे गुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए धारण किया जाता हैl गुरु बृहस्पति को देवताओं का गुरु से अलंकृत किया जाता है, हमारा जीवन कैसा होगा तथा हमें भविष्य में किन चीजों की प्राप्ति होगी तथा हमारी परिस्थिति कैसी होगी। यह सारी बातें बृहस्पति ग्रह पर निर्भर करती है, या हमारे पूर्व जन्म में किए गए विभिन्न प्रकार के कर्मकांड आदि का फल इस जन्म में प्रदान करते हैंl इनके प्रभाव से ही हमें समाज में मान प्रतिष्ठा समृद्धि प्रसिद्धि आदि प्राप्त होती है, इसलिए गुरु ग्रह की कृपा प्राप्ति के लिए पुखराज रत्न को धारण किया जाता है।

पुखराज रत्न (pukhraj dharan vidhi) अपने अद्भुत गुणों के लिए काफी लोकप्रिय है, काफी प्रसिद्ध है, जिस वजह से लोगों में इसकी बहुत अधिक मांग होती हैl आपके जीवन में विभिन्न प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे शादी होना ,बच्चे होना या आप जब किसी ऊंचे पद पर प्रतिष्ठित होते हैं, तब भी उसमें यह गुरु ग्रह का बहुत अधिक योगदान रहता हैl इनकी कृपा से ही आप की शिक्षा दीक्षा अच्छे से परिपूर्ण हो पाती है।

आपकी आर्थिक स्थिति कैसी होगी यह भी लेखा-जोखा इन्हीं के हाथों में रहता है, तथा आपकी भाग्य की मजबूती को भी यही निरूपित करते हैं, तभी तो इन्हें देवताओं का गुरु के रूप में संबोधित किया जाता हैl इनकी स्थिति को हम पुखराज रत्न (pukhraj ratn dharan vidhi) धारण करने से मजबूत तो बना ही सकते हैं। साथ में यदि हम घर में या बाहर में भी बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें तो यह ग्राहक हमें अपना सकारात्मक परिणाम देने लगता है, अपना सकारात्मक फल देता है, जिससे हमारी बहुत सी परेशानियां दूर होती हैं।

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प्राकृतिक रूप से निर्मित पुखराज रत्न (pukhraj ratn dharan karne ke fayde) हमें बहुत से लाभ प्रदान करते हैंl हमें यह जानना आवश्यक है, कि हम किन किन मापदंडों को अपनाकर यह जान सकते हैं, कि हमारे द्वारा खरीदा जा रहा रत्न पुखराज रत्न है, या फिर कोई कांच का टुकड़ा हैl यह जानने के लिए वैसे तो विभिन्न पैमाने है, फिर भी कुछ निम्न पैमानों को आधार बनाकर आप जान सकते हैं, कि आपके द्वारा खरीदा जा रहा पुखराज रत्न असली है या नकली है-

1. पुखराज रत्न (pukhraj ratna ke fayde) देखने में बहुत आकर्षक होता है, इसका पीला रंग आंखों को ठंडक प्रदान करता है, जब आप इसे सूर्य की रोशनी अथवा चंद्र की रोशनी या किसी भी तरह की रोशनी में रखेंगे तो आपको इससे पीली रोशनी प्रदीप्त होती दिखाई देगी और यदि पीली रोशनी की जगह इंद्रधनुष के रंग प्रदीप्त होते हुए दिखाई दे रहे हैं, तो इसका अर्थ है, कि वह एक कांच का टुकड़ा है, वह कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न है।

2. जब आप इसे कच्चे शुद्ध दूध में डालकर दो-तीन घंटे के लिए छोड़ देंगे और जब निकालेंगे तो आप देखेंगे कि इससे इसकी चमक कम नहीं हुई है, बल्कि और बढ़ चुकी है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न के साथ ऐसा कुछ नहीं होता वह अपनी रंग को खो चुका होता है।

3. इसकी स्वर और संतृप्ति का परिपूर्ण संयोजन नहीं हुआ तो यह देखने में बड़ा अटपटा लगेगाl इसके अंदर आपको बहुत से जाले या लकीरे दिखाई देंगी जो इस बात का प्रमाण है, कि यह एक कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न है।

4. इसमें प्राकृतिक रूप से चिकनाहट होगी इसलिए जब आप इसे रगड़ कर देखेंगे तो यह आपके हाथ से छूटने लगेगा जबकि सिंथेटिक रत्न में ऐसा कुछ नहीं होता है।

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5. पुखराज रत्न का घनत्व अधिक होता है, जबकि कृतित्व रूप से निर्मित रत्न का घनत्व काफी कम होता है, जिसकी वजह से कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न (pukhraj ratna ke labh) देखने में बड़ा और वजन में हल्का होता है, जबकि प्राकृतिक रूप से निर्मित पुखराज रत्न का वजन ज्यादा होगा भले ही वह देखने में छोटा क्यों ना हो।

पुखराज रत्न (pukhraj ratna ke labh aur hani) पहनने की विधि जानकर हम इसके ऊर्जाओं का पूर्ण रूप से लाभ उठा सकते हैं, तथा अपना जीवन संवार सकते हैं, इसे धारण करने की विधि निम्नलिखित प्रकार से है-

6. आपके द्वारा धारण किया जाने वाला रत्न पहले तो प्राकृतिक रूप से निर्मित होना चाहिए, कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न (pukhraj stone ke fayde) आपको कोई भी प्रभाव नहीं दिखाएगा, ना वह सकारात्मक प्रभाव देगा ना नकारात्मक प्रभाव देगा, अतः रत्न का चयन सोच समझ कर करें।

7. आपके द्वारा लिया गया पुखराज रत्न का वजन 5 रत्ती 6 रत्ती 9 रत्ती 11 रत्ती होना चाहिए 5 रत्ती से कम का पुखराज रत्न बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए।

8. आपके द्वारा लिया गया रत्न को आप चाहे तो सोने या ब्रोन्ज में बनवाकर पहन सकते हैं।

9. पुखराज रत्न (pukhraj stone ke labh) को धारण करने का सबसे उपयुक्त समय यह उपयुक्त दिन होता है, गुरुवार तथा नक्षत्र होता है पुष्य योग नक्षत्र इसमें इस रत्न की सारी शक्तियां जागृत रहती है, अतः यह सबसे उत्कृष्ट समय होता है जब इसे आप धारण कर सकते हैं।

10. सुबह स्नान आदि से निर्मित होकर इसे पहले गंगाजल से पवित्र करें तथा पंचामृत में कुछ देर के लिए डुबोकर छोड़ दें।

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11. उसके पश्चात गुरु ग्रह के बीज मंत्रों से इस रत्न को अभिमंत्रित करें या किसी विद्वान पंडित से अभिमंत्रित कराएं धूपबत्ती दिखाएं।

12. किसी मंदिर में ले जाकर भगवान के चरणों में इसे रखते या यदि विष्णु मंदिर हुआ तो और भी उत्तम होगा उसके पश्चात भगवान से अपनी मनोकामना को पूर्ण करने को कह कर उस रत्न को धारण करें तथा पुजारी से भी आशीर्वाद प्राप्त करें तथा उन्हें उचित दान दक्षिणा प्रदान करें।

13. किसी गरीब को भोजन अवश्य कराया किसी को कुछ सहायता अवश्य करें किंतु भूलकर भी किसी से कटु वचन या कठोर शब्द ना कहें।

14. यदि संभव हो तो अपने घर के बड़े बुजुर्गों के लिए कुछ मीठा खाने के लिए लेकर आए या आप उनके लिए कुछ उपहार भी लेकर आ सकते हैं, तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करें उनके आशीर्वाद से पुखराज रत्न (pukhraj stone dharan karne ki vidhi) आपकी तरक्की को और अधिक बढ़ाएगा तथा आपके सफलता के मार्ग में जो भी रोरे होंगे वह खुद पर खुद हटते जाएंगे।

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