आठ मुखी रुद्राक्ष धारण विधि :- Aath Mukhi
Rudraksha Dharan Karne Ki Vidhi
आठ मुखी रुद्राक्ष धारण विध- (Aath mukhi rudraksha dharan vidhi) किसी भी प्रकार का रुद्राक्ष अपने आप में अद्वितीय माना जाता है, रुद्राक्ष की यह खासियत होती है, कि यह बहुत ही उच्च स्पंदन का स्वामी होता है, किंतु यदि इसे उत्तम तरीके से शुद्धिकरण करके एवं मंत्र उच्चारण करके शुद्ध रूप से सिद्ध किया जाए, तो इसकी शक्तियां और भी व्यापक रूप से जागृत होती है, तथा किसी के जीवन को अनुकूल रूप से बदलने की क्षमता रखती है lअनेक प्रकार के परिवर्तन लाने की क्षमता रखती हैl यही कारण है, कि 8 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग विभिन्न लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है, तथा विभिन्न प्रकार की सांसारिक समस्याओं के निदान के रूप में भी 8 मुखी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।
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1. 8 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का सबसे उत्तम दिन शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन या पूर्णिमा को या बुधवार के दिन या किसी भी उत्तम तिथि को माना जाता हैl
2. सर्वप्रथम गंगा जल ,पंचामृत से अभिषेक एवं शुद्धिकरण करने के पश्चात रुद्राक्ष को किसी स्वच्छ कपड़े के ऊपर रखकर धूप बत्ती दिया आदि दिखाना चाहिए lउसके पश्चात तो पुष्प अर्पण करें एवं चंदनिया हल्दी का लेप लगाए तथा बेलपत्र के 51 या 108 पत्ते रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha dharan vidhi) पर अर्पण करेंl भगवान भोलेनाथ का स्वरूप मानकर इसका स्वच्छ हृदय से पूजन करेंl
3. अपने गुरु के द्वारा कोई भी मंत्र लेकर उसे जितनी हो सके उतनी अधिक संख्या में मंत्र का जाप करें या भगवान भोलेनाथ का कोई भी मंत्र जितना अधिक हो सके उतना अधिक संख्या में उपांशु जाप करें lआपकी बरतनी पूरी तरह से शुद्ध होनी चाहिए, यदि आप किसी भी प्रकार से मंत्र जाप करने में असहाय है, तो ऐसी परिस्थिति में आपको विद्वान पंडित जी की सहायता लेनी चाहिए तथा उन के माध्यम से रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करवाना चाहिए l
4.8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha Pahanne ke labh) को बाबा काल भैरव के मंदिर में ले जाकर उनके चरणों में रख दे या भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग से स्पर्श कराकर कुछ देर के लिए उसे वहीं छोड़ दें, उसके बाद मंदिर के पंडित जी तथा भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर मन में अपने इच्छित कार्य को पूर्ण करने को बोल कर रुद्राक्ष को वही धारण कर लें lपंडित जी को उत्तम दान दक्षिणा अवश्य प्रदान करेंl रुद्राक्ष को धारण करने के बाद कभी भी किसी को अपनी वाणी या अपने आचरण से हानि पहुंचाने के बारे में बिल्कुल भी ना सोचे lकिसी गरीब को फल या भोजन अवश्य दान दें या किसी जरूरतमंद की आप सहायता भी कर सकते हैं।
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आठ मुखी रुद्राक्ष अष्ट दिशाओं का सूचक माना जाता हैl इसे धारण करने वाले व्यक्ति को अष्ट दिशाओं से लाभो की प्राप्ति होती है lभगवान भैरव बाबा की कृपा बनी रहती है, भैरव बाबा जो विभिन्न प्रकार के नकारात्मक शक्तियों को त्वरित गति से नष्ट करने की क्षमता रखते हैंl ऐसे काल भैरव की शक्तियां 8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha dharan karne ke fayde) में विद्यमान है, जिस भी व्यक्ति विशेष के जीवन में तंत्र -मंत्र, नजर -दोष संबंधित चीजों का प्रभाव बहुत अधिक देखने को मिलता हैl उसे 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिएl इससे बाबा भैरव की कृपा बनी रहती है, तथा किसी भी प्रकार की दुष्ट शक्ति व्यक्ति विशेष को नुकसान पहुंचाने से भी डरती हैl वह उसके इर्द-गिर्द भी नहीं टिक सकती हैl बाबा भैरव जी हमसे काल भी कोसों दूर भागता है, ऐसे दिव्य ऊर्जा का प्रभाव 8 मुखी रुद्राक्ष में देखने को मिलता हैl
8 मुखी रुद्राक्ष (8 mukhi rudraksha Pahanne ki vidhi) स्वयं बुद्धि के दाता भगवान गणेश का प्रतिनिधित्व के लिए जाना जाता हैl जीवन में नई शुरुआत के लिए या नवीनतम कार्य की शुरुआत के लिए भगवान गणेश को सबसे पहले स्मरण किया जाता है lइससे किसी भी कार्य को बिना विघ्न बाधा के पूर्ण किया जा सकता हैl उनकी कृपा से जीवन में सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती हैl बुद्धि, विवेक के अधिष्ठाता के रूप में भगवान गणेश को जाना जाता है lभगवान गणेश की कृपा जिसके ऊपर रहती है lउनके जीवन में हर क्षेत्र में उसे सफलता की प्राप्ति होती है उसके जीवन से विभिन्न प्रकार की बाधाएं दूर होती है।
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शुभ करता उनके जीवन में अनेक शुभ कार्यों को संपन्न कराने के लिए उत्तम योगों का निर्माण करते हैंl गौरी नंदन की कृपा से जातक के जीवन से अनेक प्रकार की परेशानियां कोसों दूर रहती है। अष्टविनायक, अष्ट सिद्धियों के दाता माने जाते हैंl व्यक्ति विशेष के जीवन में हर्ष, उल्लास, खुशियां, सुख- शांति सदैव बनी रहती हैl इसके साथ ही भगवान गणेश का पूजन तथा उनके आशीर्वाद से छाया ग्रह केतु भी शांत रहता है, तथा विभिन्न प्रकार के गुण ज्ञान को प्राप्त करने में अनेक प्रकार के शुभ योगों का निर्माण करता हैl
5. राहु ग्रह की मजबूती से व्यक्ति की चतुराई में वृद्धि होती है, जो बुध को भी चुप करा दें, जो छल से भगवान से भी अमृत का पान कर ले वही है- राहु ऐसी विलक्षण प्रतिभा रखने वाला छाया ग्रह की स्थिति जब मजबूत होती है, तब उक्त व्यक्ति विशेष को अनेक प्रकार की गूढ़ ज्ञान की प्राप्ति होती है, तथा असंभव कार्य को भी संभव करने की क्षमता उसमें विद्यमान होती हैl उसमें वाकपटुता जैसी कला किसी को भी मात देने की क्षमता रखती हैंl अपने उत्तम उत्कृष्ट ज्ञान से व्यक्ति विशेष उच्चतम स्थान को प्राप्त करता है, इसके साथ ही उसकी प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती हैl
6. मूलाधार चक्र को यह सुदृढ़ बनाता है, जिससे हमारी अचेतन मन की स्थिति मजबूत होती हैl हमारे द्वारा किए जा रहे तंत्र एवं योग साधना जैसी चीजों में सफलता का कारक मूलाधार चक्र को माना जाता हैl मूलाधार चक्र नियंत्रण में होने से कई प्रकार के शारीरिक दोष समाप्त होने लगते हैं lशरीर में ऊर्जा स्फूर्ति की वृद्धि होती हैl हमारे अंदर की व्याप्त निरुत्साह को यह दूर करता है, तथा शारीरिक एवं मानसिक विकास में बहुत ही अद्वितीय रूप से सार्थक उपलब्धियों को प्राप्त करने में मदद करता हैl
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