लहसुनिया रत्न कैसा होता है – Lahsuniya
Ratna Kaisa Hota Hai
लहसुनिया रत्न कैसा होता है- लहसुनिया रत्न देखने में पीला, हरा ,भूरा आदि रंग का होता हैl लहसुनिया रत्न केतु से संबंधित रत्न होता है, तथा विभिन्न प्रकार की शक्तियां केतु से संबंधित इसमें विद्यमान रहती है। लहसुनिया रत्न की खासियत होती है, कि इसको देखने पर यह बिल्ली के नेत्रों के समान दिखता है, तथा जितना अधिक इसका नेत्र गहरा होता हैl उतना ही इसकी मूल्य अधिक होता हैl इस रत्न में प्राकृतिक रूप से रेखाएं मौजूद रहती हैं, जिनकी संख्या 1 या 2 या उससे भी अधिक हो सकती है। लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna kaisa hota hai in hindi) भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, जैसे- उड़ीसा, झारखंड, जम्मू एंड कश्मीर ,हिमालय, महानदी तथा विद्यांचल पर्वत के कुछ हिस्सों में एवं भारत के दक्षिण प्रांत के हिस्सों से भी इस रत्न को प्राप्त किया जाता है।
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विश्व के विभिन्न देशों में भी इसके खान अवस्थित हैं, जैसे -म्यानमार, श्रीलंका ,अफगानिस्तान, चीन, आदि, किंतु दुनिया में सबसे उत्तम गुणवत्ता वाले लहसुनिया रत्न की प्राथमिकता म्यानमार की खानों से प्राप्त लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratan pehnne ke fayde) को दी गई है lउसके पश्चात श्रीलंका के लहसुनिया को भी उत्तम गुणवत्ता वाला बनाया गया है, जिसकी वजह से बाजारों में लोगों के द्वारा म्यानमार तथा श्रीलंका के लहसुनिया रत्न को बोलकर बेचा जाता हैl विभिन्न प्रकार के रत्नों में तीसरा सबसे कठोर रत्न लहसुनिया रत्न को ही माना जाता है।
प्राकृतिक रूप से निर्मित लहसुनिया रत्न को पहचानने के लिए निम्नलिखित मापदंड या निम्नलिखित पैमाने अपनाए जा सकते हैं, जिससे आप जान सकते हैं, कि आपके द्वारा खरीदा जा रहा लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratan ko kaise pahchane) असली है, या केवल रसायनिक अभिक्रिया ओं का समावेशन है, जो विभिन्न प्रकार की अभिक्रिया ओं के द्वारा प्रयोगशाला में निर्मित एक कांच का टुकड़ा जिसे अलंकृत कर उसे लहसुनिया रत्न की उपाधि दे दी गई है।
1. प्राकृतिक रूप से निर्मित लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke fayde) की यह खासियत होती है, कि जब आप उसे अंधेरे में रखेंगे तो वह बिल्ली के नेत्रों के समान चमक उत्पन्न करता हैl उससे आपको रोशनी प्रतीत होती हुई दिखाई पड़ती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह भौतिक गुण मौजूद नहीं रहता है।
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2. असली लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke fayde or nuksan) की यह खासियत होती है, कि जब उसे हड्डी के ऊपर कुछ दिनों के लिए रख दिया जाए तो उसमें इतनी क्षमता होती है, कि वह हड्डी में छेद कर देता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह गुण आप बिल्कुल भी नहीं देख पाएंगे।
3. असली लहसुनिया रत्न की यह खासियत होती है, कि जब उसके आधार पर किसी प्रकाश उत्सर्जित करने वाले चीज को रखा जाता है, तो कभी भी उससे प्रकाश पार नहीं होता है, बल्कि वह प्रकाश को अवशोषित कर लेता है, क्योंकि लहसुनिया पारदर्शी नहीं होता है, इसलिए उसमें यह गुण आपको देखने के लिए मिलता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह गुण अवस्थित नहीं रहता है।
4. प्राकृतिक रूप से निर्मित पत्थर कठोर होते हैं, जिसकी वजह से उसका गला एवं इसका घनत्व बहुत अधिक होता है, इसलिए लहसुन या रखो जब तक पर रखा जाता है, तब इसके आकार या इसके विलक्षण में कोई भी परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है, जबकि इसके विपरीत यदि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न को रखा जाएगा तो उसके आकार में परिवर्तन होने लगेगा, इसके साथ-साथ उसकी रंगत में भी बदलाव होने लगेंगे तथा उसका वर्ण भी बदलने लगेगा।
यह एक ऐसा रत्न है, जिसमें विभिन्न प्रकार की ऐसी ऊर्जाए व्याप्त होती है, जो हमें अध्यात्म के अनेक चरणों तक ले जाने की क्षमता रखती हैl इसके साथ-साथ बहुत से सिद्धियों को सिद्ध करने में यह रत्न बहुत कारगर होता हैl मंत्र सिद्धि हो या तंत्र सिद्धि हो या किसी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान में सफलता प्राप्त करना होl लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ki jankari) इन सभी चीजों में सफलता प्राप्त करवाता है lइसके साथ-साथ मन को पवित्र करता है, एवं केतु द्वारा दिए जा रहे विभिन्न प्रकार के पीड़ा को नष्ट करने की क्षमता इस में विद्यमान होती है।
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प्राचीन काल से ही इसका उपयोग केवल ज्योतिषीय घटनाओं में ही नहीं बल्कि किसका उपयोग औषधि में भी किया जाता रहा है, जिसकी वजह से बहुत से रोगों का उपचार इसके माध्यम से किया जाता रहा है, जैसे -लकवा संबंधित विकार ,हड्डियों संबंधित विकार हो या स्वसन संबंधित विकार हो या मानसिक बीमारी या नेत्र संबंधित बीमारी इन सभी चीजों में लहसुनिया रत्न बहुत कारगर होता है, तथा जातक को अप्रतिम रूप से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है lयह एक ऐसा रत्न है, जो जातक को स्वयं से मिलवाने का कार्य करता हैl जीवन के विभिन्न ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने में लहसुनिया रत्न बहुत कारगर होता है, तथा ईश्वरीय कृपा दिलाने में लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna se kya hota hai) अप्रतिम रूप से बहुत कारगर सिद्ध होता है lयह ऐसा दिव्य रत्न है जो हमें परमात्मा से मिलाने के लिए सारे द्वार हमारे मन के खोल देता है हमारी सारी इंद्रियों को जागृत करने की क्षमता इस रत्न में विद्यमान होती है।
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केतु ग्रह को शनि ग्रह का दास माना जाता है, इसके साथ ही केतु ग्रह गुरुदेव बृहस्पति का भी दास माना जाता है, इसलिए केतु से संबंधित रत्न लहसुनिया (lahsuniya ratna dharan karne ke fayde) को धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन 2 दिन माने गए हैं- गुरुवार तथा शनिवार कोl रात्रि से पूर्व जो बेला होती है, जिसे हम गोधूलि बेला कहते हैं lवह राहु ग्रह से संबंधित होती है, तथा केतु से संबंधित बेला सूर्य उदय से पूर्व की बेला होती है, इसलिए बहुत से लोगों के द्वारा या ऋषि मुनियों के द्वारा सूर्य उदय से पूर्व के अद्वितीय समय में केतु के द्वारा प्रदान किया जाने वाला अनेक विचित्र एवं गुढ अध्यात्मिक गुण प्रदान किया जाता है।
ऐसा माना जाता है,कि इस वक्त ऐसी ऊर्जा पूरे ब्रह्मांड में विचरण करती है, जो किसी जातक के जीवन को बदलने की क्षमता रखती है, इसलिए सबसे उपयुक्त समय लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ka mahatva) को धारण करने का सूर्य उदय से पूर्व माना जाता है, इस रत्न को विभिन्न प्रकार के केतु के बीज मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर भगवान श्री गणेश का नाम लेकर इसे धारण किया जाता है।
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