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सात मुखी रुद्राक्ष का महत्व – saat mukhi rudraksha ke fayde 

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यदि किसी जातक पर शनिदेव की महादशा, ढैया या साढ़ेसाती है तो ऐसे जातक को 7 मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए, यह जातक के लिए अत्यंत लाभकारी है, यह कामदेव का प्रतिनिधित्व करता है और इसे धारण करने वाले जातक को साक्षात माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है जिससे जातक के घर में धन की कमी कभी नहीं होती ।

Description

सात मुखी रुद्राक्ष का महत्व – saat mukhi rudraksha ke fayde 

 

सात मुखी रुद्राक्ष (saat mukhi rudraksha ke fayde)  हमारे शरीर के सभी सात चक्रों के जागृत अवस्था को प्रदर्शित करते हैं प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष के ऊपर जब सात धारियां मौजूद रहती है तब उसे हम सात मुखी रुद्राक्ष के नाम से संबोधित करते हैं सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषि की शक्तियों को निरूपित करता है जिनका उल्लेख विभिन्न प्रकार के वेद पुराणों में वर्णित है।

 

जिनकी कृपा के कारण जीवन तंत्र की सुव्यवस्थित व्यवस्था की खोज की गई तथा मानव की बुद्धि एवं चेतना को सर्वोत्तम स्तर तक प्रसार हुआ सर्वत्र ब्रह्मांड में ज्ञान का प्रसार के लिए भी सप्त ऋषियों के अद्वितीय सहयोग के कारण ही संभव हो पाया है इसमें अनेक देवी देवताओं के ब्रह्मांडीए शक्तियों का समावेशन होता हैै।

 

सात मुखी रुद्राक्ष में सात देवियों का वास माना जाता है एक साथ विभिन्न प्रकार की देवी शक्तियों का समावेशन रुद्राक्ष में होता है इसलिए इसे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती है इसके साथ ही इस दिव्य मनका का उपयोग शनि ग्रह के
की स्थिति को और अधिक मजबूत बनाने के लिए तथा उनकी वक्री दृष्टि से बचने के लिए भी सात मुखी रुद्राक्ष का उपयोग किया जाता है।

सात मुखी रुद्राक्ष (saat mukhi rudraksha ke fayde) के मानव जीवन के लिए कई महत्व बताए गए हैं जो निम्नलिखित है –

 

 

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सात मुखी रुद्राक्ष का महत्व

सात मुखी रुद्राक्ष का महत्व – saat mukhi rudraksha ke fayde 

 

1. सात मुखी रुद्राक्ष उन लोगों के लिए बहुत उत्तम माना जाता है जिनकी जन्मपत्रिका में कालसर्प जैसे दोषो का निर्माण होता है राहु -केतु जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह या पापी ग्रह के नाम से संबोधित किया जाता है जिनका वास्तविक स्वरूप नहीं होता है यह दोनों मिलकर किसी भी व्यक्ति विशेष की जन्मपत्रिका में अनेक दोष का निर्माण करते हैं।

 

जिसके कारण व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक कष्ट होते हैं तथा पैतृक संपत्ति नहीं प्राप्त होता है संतान से कष्ट की प्राप्ति होती है भाई बंधुओं से छल कपट किया जाता है अनावश्यक झगड़े आदि का प्रभाव कालसर्प दोष के द्वारा देखने को मिलता है ऐसे में सात मुखी रुद्राक्ष यदि किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा धारण किया जाता है तो उस उपयोगकर्ता को इस दोष से निराकरण प्राप्त होता है तथा विभिन्न क्षेत्रों में उसकी स्थिति सुदृढ़ होती है।

 

2. सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले उपयोगकर्ता के जीवन में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं रहती है माता अन्नपूर्णा का बास उसके घर में होता है जिससे कभी भी घर परिवार में किसी चीज की कमी नहीं रहती है इसके साथ ही माता लक्ष्मी उसके जीवन में कभी भी भौतिक सुख संपदा एवं सांसारिक चीजों की कमी नहीं होने देती है उसके जीवन में से संबंधित कभी भी कोई परेशानी देखने को नहीं मिलती है ।

 

दुख दरिद्रता उसके जीवन से समाप्त होने लगते हैंl वित्तीय विषयक चीजों में उसे विभिन्न प्रकार से लाभ प्राप्त होते हैं तथा आय के स्रोत सदा बने रहते हैं जिससे पैसे का आगमन कभी नहीं रुकता है।

सात मुखी रुद्राक्ष लोगों के द्वारा धारण किया जा सकता हैै जो कर्ज़ संबंधित चीजों या ऋण संबंधी चीजों को लेकर काफी अधिक दुविधा में रहते हैंl आय से अधिक व्यय हो रहा है जिसके कारण आर्थिक क्षेत्र में लगातार पतन की स्थिति बनी हुई हैै जिसके कारण आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई हैै ऐसे लोगों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए इससे पैसे से संबंधित कई मार्ग खुलेंगे जिससे आपके ऋण मुक्त होने की संभावना प्रबल होगीी आपकी स्थिति में बदलाव होगा आर्थिक पक्ष की मजबूती बनेगी जिससे धन संचित करने के अनेक अवसर प्राप्त होंगेेेे।

 

3. भाग्य की रेखाओं का साथ जिस व्यक्ति को प्राप्त नहीं होता है वह कितना भी पुरुषार्थ कर ले उसकी स्थिति में बदलाव नहीं हो पाता है सबसे अधिक पीड़ादायक स्थिति तब बनती हैl जब उससे कम क्षमता वाला उससे कम बुद्धि -विवेक वाला व्यक्ति उचित पद प्रतिष्ठा पर विद्मान होता है तथा उसे हो वह सब कुछ प्राप्त होता है जिसके अंतर्गत उसके जीवन में खुशहाली एवं आनंद होता है जबकि वह कम क्षमतयुक्त है उपयुक्त पुरुषार्थ भी नहीं करता है फिर भी भाग्य के प्रबल होने के कारण उसकी स्थिति हर पक्ष से मजबूत होती हैl

 

ऐसे स्थिति में जिसको भाग्य का साथ नहीं प्राप्त होता है वह व्यक्ति अपने विचारों से हो अपने मन से अपने कार्यों से खिन्न होने लगता है उसके मन में ईर्ष्या एवं निराशा जैसी भावना जन्म लेने लगती है उसे उसके प्रारब्ध का साथ प्राप्त नहीं होता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति विशेष को 7 मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए इससे उसका भाग्य प्रबल होता है तथा उसके द्वारा किए जा रहे उत्तम पुरुषार्थ का फल भी उसे प्राप्त होता है एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक दिव्य फलों की प्राप्ति होती हैl

 

4.वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह के रूप में निरूपित किया जाता है तथा उनकी वक्र दृष्टि किसी भी जीव को सुन्या अवस्था तक पहुंचाने की क्षमता रखता है देव हो या दानव हो या कोई मनुष्य हर किसी के ऊपर इनकी दृष्टि सदैव बनी रहती है यह एक ऐसे ग्रह है जो कर्म के आधार पर फल देते हैं इनके द्वारा दिए जा रहे फल का आधार व्यक्ति के या किसी भी जीव के कर्म के आधार पर निर्माण किया जाता है पूरे ब्रह्मांड में न्याय का प्रतिनिधित्व शनि ग्रह के द्वारा किया जाता है तथा किसी भी जीव के द्वारा किए जा रहे बुरे कर्मों का फल लिया अच्छे कर्मों का फल उसे जन्म जन्मांतर तक प्राप्त होता है।

 

शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया ,शनि की दशा ,शनि की महादशा जैसी दशाओं में उक्त व्यक्ति की स्थिति बिल्कुल दयनीय हो जाती है उसके जीवन में कई प्रकार के उथल-पुथल चलने लगता हैl किसी भी जातक के जीवन को पूरी तरह से बदलने की क्षमता इनकी दशाओं में व्याप्त होती है इसलिए जब जन्मपत्रिका में इनका गोचर होता है lतब व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से नकारात्मक रूप से अधिक प्रभावित होता है तथा यदि उसे अच्छे परिणाम भी मिलते हैं lतब तक उस व्यक्ति के सभी तरह की आशाएं समाप्त हो जाती हैl

 

जीवन के प्रति तब तक वह बहुत अधिक उदासीन हो जाता है ऐसे में शनि ग्रह को उत्तम स्थान में लाने के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए इससे अनेक प्रकार के शनि ग्रह के द्वारा दिए जा रहे हैं नकारात्मक प्रभाव पूरी तरह से निष्फल हो जाते हैं तथा व्यक्ति विशेष के जीवन में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।

 

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