13 मुखी रुद्राक्ष मंत्र – 13 Mukhi Rudraksha
Mantra
13 मुखी रुद्राक्ष का मंत्र – (13 mukhi rudraksha ka mantra kya hai) यदि उत्तम वर्तनी शुद्ध वर्तनी के साथ जाप किया जाए तो बहुत ही उत्कृष्ट प्रभाव दिखाता है, और 13 मुखी रुद्राक्ष की सबसे खास बात यह है, कि यह जितना अधिक पुराना होता है lउतना अधिक यह शक्तिशाली होता चला जाता हैl अनेक दिव्य शक्तियों से युक्त यह मनका स्वयं भोले भंडारी स्वयं भगवान रुद्र का स्वरूप है, यही कारण है, कि रुद्राक्ष जिस भी अवस्था में रहता हैl यह उत्कृष्टता से परिपूर्ण रहता हैl निम्नलिखित मंत्र का जाप यदि 13 मुखी रुद्राक्ष के द्वारा धारण किया जाए तो जातक के ऊपर सदैव मां वैभव लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, तथा जगत जगदीश्वर लक्ष्मीनारायण का आशीर्वाद भी उसके ऊपर बना रहता है।
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ll ओम ह्रीं नमःll
13 मुखी रुद्राक्ष (13 mukhi rudraksha kaisa hota hai) ऐसा रुद्राक्ष माना जाता है, जिस पर कामदेव का आधिपत्य होता है lकामदेव जो समस्त सृष्टि में प्रेम के सृजन करता है, जिनके बिना प्रेम की अनुभूति को प्राप्त करना निरर्थक है, पूरे ब्रह्मांड में विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं में एकांकी स्वरूप प्राप्त करने के लिए सबसे आवश्यक रूप प्रेमभाव का होता है, जिसे कामदेव के द्वारा प्रदान किया जाता है lयदि सृष्टि से कामदेव की दृष्टि हट जाए तो पूरी पृथ्वी में हाहाकार मच जाएगा और ईर्ष्या निंदा जैसी चीजें व्याप्त होने लगेगी लोग एक दूसरे से केवल नफरत कर पाएंगे प्रेम की भावना क्या होती है, या उनके दिल दिमाग मस्तिष्क से पूरी तरह से मिट जाएगा यह भावना है lयदि इस सृष्टि के धरातल से समाप्त हो जाएगा, तो पूरी की पूरी ब्रह्मांड की शक्ति की संरचना ही खत्म हो जाएगी, ऐसे प्रेम के दाता कामदेव की शक्तियां 13 मुखी रुद्राक्ष में समाहित होती हैl सृष्टि में जीवन की उत्पत्ति के लिए जो प्रेम की भावना होनी चाहिए, उसके कारक भी कामदेव ही है।
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ऐसे दंपत्ति जो संतान की इच्छा रहते हैं, तथा संतान प्राप्ति या संतान उत्पत्ति के प्रयास के समय यदि उनके द्वारा 13 मुखी रुद्राक्ष (13 mukhi rudraksha pahanne ke fayde) धारण किया जाता है, तो बहुत ही उच्च कोटि की आत्मा उनके गर्भ में प्रवेश करती हैl ऐसी संतान बहुत ही सात्विक प्रवृत्ति वाली होती है, तथा उक्त नारी इस बात से भी पूरी तरह से निश्चिंत रहती है, कि उसके गर्भ में किसी भी तरह की कोई ऐसी जीवात्मा उसके गर्भ में प्रवेश नहीं करती है, जो लंबे समय से प्रेत योनि का दंश झेल रही हो एवं अतृप्त आत्मा के रूप में इधर उधर भटक रही हो, यह रुद्राक्ष किसी भी तरह के नकारात्मक शक्ति को गर्भ में प्रवेश करने से रोक देता हैl इस तरीके कारक तत्वों को इतना अधिक मजबूत बना देता है, कि उस पर किसी तरह की दानवीया प्रवृत्ति रखने वाली शक्तियां निष्फल हो जाती है।
13 मुखी रुद्राक्ष (13 mukhi rudraksha dharan karne se kya hota hai) धारण करने से चंद्र ग्रह के द्वारा दिए जा रहे किसी भी तरह के दुष्प्रभाव को यह पूरी तरह से निकल कर देता है lचंद्रमा जो हमारे मन एवं शरीर में जल तत्व की प्रधानता को निरूपित करता है lहमारे वास्तविक जीवन में हमारी माता के स्वरूप के रूप में चंद्रमा को अलंकृत किया जाता हैl चंद्रमा जो यदि कमजोर है, तो कभी भी व्यक्ति स्थिर होकर कोई कार्य को संपन्न करने में सफल नहीं हो पाएगा lउसके जीवन में स्थायित्व जैसे नाम की कोई चीज नहीं रहेगी, जिसके कारण अनेक प्रकार की विचलित करने वाली चीजें घटित होती है, जातक का मन बहुत विचलित रहता है, तथा गहरे अवसाद में वह रहता है।
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अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता है lबहुत अधिक संवेदनशीलता के कारण पागलपन ,उन्माद जैसी स्थिति तक में पहुंच जाता हैl चंद्रमा की स्थिति को बल प्रदान करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं lउसके अलावा भी इसे बलिष्ट बनाया जा सकता हैl यदि 13 मुखी रुद्राक्ष (13 mukhi rudraksha dharan karne ke fayde) को उपयुक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर सिद्ध कर धारण किया जाए तो चंद्रमा का प्रभाव पूरी तरह से सकारात्मक रूप से परिवर्तित होता है, तथा व्यक्ति का भाग्य प्रबल होता है, क्योंकि व्यक्ति भले ही कितना भी कर्मठ होकर मेहनत कर ले, किंतु जब तक उसकी माता का आशीर्वाद उसे प्राप्त नहीं होता है, तब तक उसका भाग्य उसे उत्तम फल प्रदान नहीं करता है।
इसी प्रकार जब तक व्यक्ति को चंद्रमा का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है, तब तक वह जीवन में कभी विजय नहीं प्राप्त कर सकता हैl उसे विभिन्न पक्षों पर विजय प्राप्त करने के लिए चंद्रमा का असीम सहयोग की प्राप्ति होनी चाहिएl अतः इसके माध्यम से चंद्रमा ग्रह हर पक्ष से जातक को सहयोग प्रदान करता है, जिससे जातक को विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के योग प्राप्त होते हैं।
13 मुखी रुद्राक्ष कैसे पहने-
सबसे पहले 13 मुखी रुद्राक्ष (13 mukhi rudraksha ka mantra in hindi) की गुणवत्ता की जांच कर ले कि वह शुद्ध है, या नहीं हैl उसके पश्चात ही उसे शुभ दिन में धारण करने सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन साफ एवं स्वच्छ हल्के रंग के कपड़े धारण करें, किसी भी तरह से काले रंग का प्रयोग करना वर्जित है lउसके पश्चात अपने पूजा स्थल में रुद्राक्ष को पंचामृत तथा गंगाजल से पूरी तरह से शुद्ध करें करने के पश्चात गाय का शुद्ध देशी घी का दीपक एवं गूगल तथा कपूर से आरती लगाएं दीप जलाएं उसके पश्चात 51 या 108 बेलपत्र के पत्ते रुद्राक्ष के ऊपर रखे तथा हल्दी का लेप या चंदन का लेप रुद्राक्ष के ऊपर लगाए उसके पश्चात llओम ह्रीं नमःll मंत्र का जाप उपांशु रूप से करें आप जितना हो सके उतनी देर तक मंत्र का जाप करें आप जितनी अधिक संख्या में मंत्र जाप करेंगे यह मनका उतना अधिक शक्तिशाली होता रहेगा।
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अपनी श्रद्धा अनुसार मंत्र की संख्या आप रख सकते हैं, किंतु एक विशिष्ट संख्या का चुनाव करने से इसके लाभ उत्तम प्राप्त हो सकते हैंl इसके बाद इसे भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग से स्पर्श कराकर या माता लक्ष्मी के चरणों स्पर्श कराकर इसे इस प्रकार से धारण करना है, कि आपके त्वचा से सीधा संपर्क या सीधा स्पर्श रुद्राक्ष को हो सके इस बात का भी ध्यान अवश्य रखें कि आप जिस भी धागे में इसे धारण करने जा रहे हैंl उसका रंग लाल या पीला होना चाहिए वह रेशम या सुति का भी हो सकता है, उसे चांदी या सोना में भी आप धारण कर सकते हैं, जिस भी दिन इसे धारण करें उस दिन किसी भूखे को भोजन अवश्य कराएं या किसी जरूरतमंद को फल या भोजन का दान अवश्य करें।
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